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अल्लाह, वाहेगरू से मोहब्बत करने वाला सुखी

14 मार्च 2010

सिरसा(सिटीकिंग) आदमी संतुष्ट कोई नही है, न गृहस्थी सुखी है न त्यागी। सुखी वो है तो अल्लाह, राम, वाहेगुरू से मोहब्बत करता है, उनके द्वारा दिखाए रास्ते पर चलता है। उक्त उदगार संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी ने रविवार को शाह सतनाम जी धाम में आयोजित सत्संग समारोह को संबोधित करते हुए कहे। ठेठ पंजाबी भाषा में सत्संग करते हुए संत जी ने कहा कि सत्संग आवेगा, नाम लवेगा, भजन सुमिरन करेगा तो रूहानियत दे नजारे मिलने शुरू हो जावेंगे। उन्होने कहा कि खुदी, अहंकार को अपने अंदर आने न दो, अगर परमात्मा ने आप पर रहमत की है तो उस पर अहंकार कभी न करों। अहंकार को हमेशा मार पड़ती है। उन्होने कहा कि जहां खुदी होती है वहां खुदा नही होता, और जहां खुदा होता है वहां खुदी नही होती। सत्संग के दौरान संत जी ने कहा कि अपने मन से लडऩा सिखो, इस घोर कलयुग बुराई के युग में परमपिता परमात्मा को जर्रे जर्रे में देखना है तो अपने अंदर से बुराइयां,गुनाह निकाल दो। उन्होने कहा कि यारी, दोस्ती, रिश्तेदारी वो ही अच्छी है जो आपको परमात्मा की राह पर लेकर जाए। वो आपका कभी नही हो सकता जो आपको रूहानियत से दूर करे। संत जी ने कहा कि इंसान अगर परमात्मा की भक्ति इबादत करता रहे तो बडे़ से बड़े जख्म भी भर जाते है। उन्होने कहा कि यह संसार फानी है यानि नष्ट हो जाने वाला है, जो नजर आ रहा है वो एक दिन खत्म जरूर होगा,अगर इस जहां और अगले जहां में काम आने वाली कोई चीज है तो वो है परमात्मा, अल्लाह, मालिक का नाम। उन्होने कहा कि परमपिता परमात्मा से बेहद प्यार करो, दृढ विश्वासी बनों। उन्होने कहा कि जीव आत्मा , उस परमपिता परमात्मा की औरत है, उसे सजने के लिए दीनता,नम्रता, प्यार रूपी गहने धारन करने चाहिए, सेवा सुमिरन की खुश्बू लगानी चाहिए और अपने पिया परमात्मा को रिझाना चाहिए। उन्होने कहा कि कोई भी कर्म ऐसा नही होना चाहिए जिससे मालिक के बच्चों का दिल दुखे, उन्हे कष्ट हो। संत जी ने कहा कि सत्संग सुनने से अंदर के अवगुण अपने आप खत्म हो जाते है। उन्होने कहा कि परमात्मा का नाम इस लिए लेना जरूरी है कि जीवआत्मा के अंदर हमेशा सुख, शांति, परमानंद बना रहे तथा जीव आत्मा राम नाम लेते हुए आवागमन के चक्कर से मुक्ति पाकर अपने निज धाम सचखंड सचलोक में जा सके। सत्संग के दौरान पूज्य गुरू जी ने श्रद्धालुओं द्वारा रूहानियत संबधित पुछे गए प्रश्नों के उतर देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। इस अवसर पर पूज्य गुरू जी की पावन उपस्थिति में 5 जोड़ों ने सादगी पूर्ण ढंग से दिलजोड़ माला पहनाकर एक दूसरे को जीवन साथी स्वीकार किया। सत्संग के उपरांत गुरू जी ने हजारों लोगों को गुरूमंत्र, नाम दान की दीक्षा दी। सत्संग के उपरांत लंगर भी खिलाया गया।

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