बॉलीवुड ने बनाया एक 'स्टोनमैन'
नाम से आपको लगेगा कि यह किसी हॉलीवुड की फ़िल्म का नाम हैं लेकिन जब आपको पोस्टर में अरबाज़ खान और के.के.मेनन दिखेंगे तो समझ आयेगा कि यह बॉलीवुड फ़िल्म हैं आजकल कई निर्माताओ को अपनी फ़िल्म का नाम अग्रेंजी में रखते हुए देखा जा सकता हैं जबकि फ़िल्म वह हिन्दी बना रहे हैं दरसल अग्रेंजी नाम के पीछे मल्टीप्लेक्स क्लचर भी एक प्रमुख कारण हैं जबकि निर्माताओ को यह बात समझ आनी चाहिए कि फ़िल्म को सबसे बड़ी सफलता दिलाने के लिए उसका आकर्षक नाम बेहद जरुरी हैं फ़िल्म की एक बड़ी कमजोरी इसका नाम ही हैं क्यूंकि नाम के चक्कर में एक अच्छी फ़िल्म से कई दर्शक वंचित रह जायेंगे फ़िल्म सची कहानियो पर आधारित हैं मुंबई में फुटपाथ पर रहने वाले गरीब लोगो की हत्या पर केंद्रित यह फ़िल्म पहले हाफ में कहीं भी विषय से भटकती प्रतीत नहीं हुई लेकिन दुसरे हाफ में निर्देशक ने घटनाओ को नाटकीय बनने के चलते उलझा दिया मुंबई में हो रही हत्याओ को सुल्झाने का जिम्मा इंसपेक्टर संजय को मिलता हैं वह कई प्रयास करते हैं लेकिन इस गुथी को सुलझा नहीं पाते तो इस जाँच में एक और अधिकारी कादर (अरबाज़ खान) को भी जोड़ दिया जाता हैं अब दोनों अधिकारियो की राय और जाँच का तरीका अलग-अलग हैं और इस पर दोनों में भिड़त होती हैं अंत में आख़िर कर हत्यारे को पकड़ लिया जाता हैं के.के.मेनन के अभिनय की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम हैं क्यूंकि उनके चहरे पर आने वाले भाव ही कई बार डायलोग बोल जाते हैं अरबाज़ खान भी जमे हुए हैं विक्रम गोखले सहित अन्य कलाकारों का काम समान्य रहा निर्देशक - के.के.मेनन, विक्रम गोखले, अरबाज़ खान और रुखसार निर्माता- बाबी बेदी निर्देशक- मनीष गुप्ता