मुख्यमंत्री को लेकर हरियाणा में बढ़ी सरगर्मियां
चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) 13 अक्तूबर को हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों के परिणामों ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री भूपेनद्र सिंह हुड्डा के भविष्य पर कई प्रश्र चिन्ह अंकित कर दिये हैं। 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस को 40 स्थानों पर सफलता मिली है-जबकि सात निर्दलीयों का साथ जुटा कर कांग्रेसी शासन के गठन की कवायद शुरू हो गई है, मगर मुख्यमंत्री पद को लेकर बगावती स्वर गूंज रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री कुमारी शैलजा, किरण चौधरी, वीरेन्द्र सिंह समर्थक विधायकों को कांग्रेस विधायक दल नेता चुनाव में अनुपस्थिति श्री हुड्डा के लिए शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता। ''प्रैसवार्ता'' को मिली जानकारी अनुसार कांग्रेस टिकट के आबंटन के समय श्री हुड्डा करीब 70 क्षेत्रों में अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने में सफल हो गये थे, जिनमें से करीब 40 कांग्रेस प्रत्याशी बागी उम्मीदवारों तथा कांग्रेसी भीतरघात के चलते विधानसभा में पहुंचने में वंचित रह गये। कांग्रेस की चंडीगढ़ बैठक से एक दर्जन विधायकों की अनुपस्थिति श्री हुड्डा का राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा सकती है, वहीं सात निर्दलीयों का समर्थन उन्हें लाभ भी पहुंचा सकते हैं। मुख्यमंत्री कुर्सी को लेकर कांग्रेसियों में छिड़ी जंग से कांग्रेस सरकार बनने पर ज्यादा टिका रहना संदेह के दायरे में है। मुख्यमंत्री पद की दावेदार किरण चौधरी की भिवानी जनपद में विधानसभा चुनावों के दौरान रही भूमिका उसके पक्ष में नजर नहीं आती, जबकि केन्द्रीय मंत्री शैलजा पिछले काफी समय से मुख्यमंत्री की कुर्सी प्राप्ति के लिए प्रयासरत् है, परन्तु इस बार उन्हें सफलता मिलती दिखाई देती है। कांग्रेस का जीन्द जिला से पूर्णतया सफाया और मुख्यमंत्री पद के दावेदार वीरेन्द्र सिंह की पराजय को कांग्रेस आलाकमान काफी गंभीरता से ले रहा है, क्योंकि हरियाणा की राजनीति में जींद जिले की भूमिका को काफी महत्व दिया जाता है।