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देह और परिवार का ही आकार बढ़ाया है-हरिहर ने

नईदिल्ली(प्रैसवार्ता)सात पत्नियों का पति, 34 बच्चों का पिता और 20 बच्चों का दादा-नाना हरिहर तिवाड़ी अब भी भली भांति भर पेट भोजन करता है। पांच बोतलों से भी ज्यादा शराब पी जाता है और जवानी की दहलीज पर आये युवकों की तरह आठवीं शादी के लिए प्रयासरत है। मीडिया में काफी चर्चित रहे हरिहर तिवाड़ी पहले तो प्रादेशिक समाचार पत्रों में भी छाये रहे, मगर अब उनके प्रदेश बिहार के साथ-साथ पूरी दुनिया में मशहूर हो गये और उन्हें देखने वाले टी.वी तथा अखबारी रिपोर्टर प्रतिदिन उसके पास देखे जा सकते हैं। हरिहर का शरीर ऐसा है, कि ''सुमो, कुश्ती वाला पहलवान भी यदि उसके सामने आ जाये, तो वह भी शर्म खा गये। दुनिया की कोई भी कार जीप ऐसी नहीं है-जिससे हरिहर को बिठाया जा सके। जहां तक कि टाटा सुमो करना काफी दुखदायी होता है-क्योंकि भारत वर्ष के सबसे मोटे इस व्यक्ति को बस में सीट नहीं दी जा सकती। हरिहर में जहां भी जाना होता है, उसे ट्रक की सेवा लेनी पड़ती है। वह भी उसके शरीर को रस्सों से बांधकर क्रेन की तरह उठाने उपरांत ट्रक में बिठाया जाता है। ऐसे भारी भरकम शरीर वाले को जब अपनी बेटी कौन देगा, तो यह सोचने की बात है, कि मगर हरिहर ने अभी तक उम्मीद नहीं छोड़ी है, क्योंकि वह आम व्यक्ति से 7 गुणा ज्यादा किस्मत वाला है। साधारण लोग तो एक पत्नी से ही परेशानी महसूस करते हैं, परन्तु हरिहर को सात पत्नियों का कुनबा भी बोझ नहीं लगता-बल्कि सभी उससे खुश हैं। हरिहर के रिश्तेदारों ने प्रैसवार्ता को बताया कि हरिहर जब कपड़े की दुकानों पर जाता है-तो लोग उसे काफी वस्त्र देते हैं। कुछ कपड़े परिवाजन पहन लेते हैं-जबकि अन्य बेच दिये जाते हैं। यदि फिर भी बात न बने, तो परिवारजन भीख मांगने से भी गुरेज नहीं करते। बिहार के गाजीपुर इलाके में रहने वाले हरिहर की पहली शादी 15 वर्ष की आयु में हुई थी, तब उसका शरीर कागजी पहलवान जैसा था और एक दशक पूर्व उसने सातवी शादी की है। खाने-पीने के बेहद शौकीन हरिहर ब्राह्मण तिवाड़ी है, परन्तु फिर भी प्रतिदिन एक किलोग्राम मास, दूध से अधिक भूनी हुई मछलियां, दस अंडे, आधा किलो से ज्यादा चावल खा जाता है-जबकि जवानी के दिनों में वह प्रतिदिन पांच किलोग्राम तक मास खा जाता था। ऐसी बात नहीं है कि वह खाना नहीं पचा सकता या फिर रात्रि को नींद नहीं आती। इसलिए वह प्रतिदिन पांच बोतलों से ज्यादा शराब पी जाता है। हरिहर के रिश्तेदारों का कहना है, कि जवान के समय वह कम शराब का सेवन करता था, परन्तु अब वह शराब की रड़क निकाल देता है। कई बार हरिहर अपने परिवार सहित सैर पर जाता है, तो उसे तम्बू के नीचे ही डेरा लगाना पड़ता है। होटल या धर्मशाला में उसे जगह नहीं मिलती और भारी संख्या में उसे देखने के लिए लोग एकत्रित हो जाते हैं। जिंदगी में एक बार हरिहर की इच्छा एक ऑटो रिक्शा पर बैठने की हुई, तो उसने काफी प्रयास उपरांत एक ऑटो रिक्शा का हुड खुलवाया। सीट पर बैठते ही रिक्शा के टायर फट गये और रिक्शा दोहरा हो गया, पर इसके उपरांत हरिहर ने कभी भी अपनी इस इच्छा पर अमलीजामा पहनाने का प्रयास नहीं किया। मजेदार बात यह है, कि बदलते जमाने में हरिहर तिवाड़ी, उसकी सातो पत्नियों के अतिरिक्त 34 बच्चों में से किसी ने भी स्कूल में जाना उचित नहीं समझा और न ही कोई काम करता है, बल्कि सभी भिखारी हैं, पर जिंदगी मजे से जी रहे हैं।

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