सिटीकिंग परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। सिटीकिंग परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 098126-19292 पर संपर्क करे सकते है।

BREAKING NEWS:

जीवन का अंतिम पड़ाव इसकी सांझ नहीं बल्कि नई सुबह शुरूआत की होती है

लगभग 8 हजार किलोमीटर और 9 देशों की साईकिल पर यात्रा करने वाला यह जोड़ा 62 वर्षीय हम्मान और 53 वर्षीय उरनी गत दिवस सिरसा पहुंचे
सिरसा(सिटीकिंग) जीवन का अंतिम पड़ाव इसकी सांझ नहीं होता बल्कि एक नई सुबह की शुरूआत होती है। यह वह संदेश है जो विश्व भ्रमण पर निकले स्विस नागरिक बोलकर नहीं दे रहे हैं बल्कि उनकी यात्रा यह संदेश अपने आप दे रही है। लगभग 8 हजार किलोमीटर और 9 देशों की साईकिल पर यात्रा करने वाला यह जोड़ा 62 वर्षीय हम्मान और 53 वर्षीय उरनी गत दिवस सिरसा पहुंचे तथा स्थानीय लाल बत्ती चौक पर स्थित होटल सिटी व्यू में तीन दिन तक रूके और सिरसा क्षेत्र को बहुत गहराई से देखा। इसी दौरान होटल सिटी व्यू में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने अपनी यात्रा के अनुभवों को सांझा किया। हम्मान ने बताया कि वे अपने देश से चलकर अब तक जर्मनी, आस्ट्रिया, हांगकांग, रोमानिया, बुल्गारिया, टर्की, ईरान और पाकिस्तान के रास्ते होते हुए हाल ही में भारत पहुँचे हैं। बाघा बार्डर से भारत प्रवेश करने के बाद उन्होंने अमृतसर से अपनी यात्रा शुरू करते हुए विभिन्न शहरों के बाद बठिण्डा-डबवाली होते हुए सिरसा पहुंचे हैं। यह दम्पत्ति सिरसा क्षेत्र से काफी प्रभावित दिखा। विशेषकर उन्होंने होटल सिटी व्यू और उसके प्रबन्ध निदेशक नरेश मेहता और सतीश मेहता द्वारा की गई मेहमाननवाजी की तारीफ की और कहा कि पिछले दो सालों में उन्होंने सबसे साफ-सुथरे और प्रेमपूर्ण माहौल में प्रवास किया है। उनसे उनकी यात्रा का मकसद पहुंचने पर वे बताते हैं कि वे मन और शरीर से जवान रहने के लिए यह यात्रा कर रहे हैं और वे मानते हैं कि व्यक्ति को अपने जीवन में हमेशा अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए तथा इस भूमिका को निभाने का संकल्प ही उन्हें इस यात्रा को अंजाम देने का कारण बना है। अपने परिवार के बारे में बताती हुई उरनी कहती हैं कि उसके दो बेटे हैं जो कि दोनों शादीशुदा हैं। वे भी यह चाहते थे कि जीवन के सभी महत्त्वपूर्ण काम करने के बाद उनके माँ-बाप दुनिया को निकट से देखें। इसलिए उन्होंने भी इस यात्रा के लिए उन्हें बेहद सहयोग किया। उन्होंने बताया कि वे अनुभव करते हैं कि भारत, पाकिस्तान आदि देशों में आर्थिक असमानता बहुत ज्यादा है जबकि उनके देश में यह अंतर बहुत कम है लेकिन इन देशों में यात्रा करते हुए उन्होंने कभी भी अपने आपको अकेला अनुभव नहीं किया। वे जहां भी गए चंद मिनटों में दर्जनों लोग उनके आस-पास थे। वे इस बात से भी बड़े उत्साहित थे कि यहां के लोग उन्हें बहुत आश्चर्यजनक रूप से देखते हैं मानो वे किसी दूसरे ग्रह से आए हैं। हम्मान कहते हैं पाकिस्तान में लोग हमें आँखों से देखते थे जबकि बाघा बार्डर से निकलते ही जैसे ही भारत में लोगों ने हमें आँखों से देखना और छूकर अनुभव करना शुरू किया इससे उनका रोमांच और अधिक बढ़ गया तथा वे अपने आप को अति विशेष महसूस करने लगे। यहां की यात्रा समाप्त कर यह जोड़ा अपनी आगे की यात्रा के लिए अपनी दोनों साईकिलों पर आगे बढ़ गया। इससे पूर्व उनके आगामी यात्रा अभियान के लिए श्री मारूति चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रधान रमेश मेहता ने उन्हें अपनी तरफ से शुभकामनाएं दीं तथा बेहद गर्मजोशी के साथ उन्हें सिरसा से रवाना किया। यहां के बाद उनकी राजस्थान, गोआ, चेन्नई आदि में जाने की योजना है। भारत में उनका 6 महीने का प्रवास अप्रैल में समाप्त होगा।

Post a Comment