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हरियाणा में कई गांवों में रिश्ता करने से भी डरते हैं लोग

रोहतक(सिटीकिंग)हरियाणा प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों से बढ़े अपराधों का प्रभाव अब सामाजिक रिश्तों पर भी पडऩे लगा है। प्रदेश भर में अपराध में अग्रणी माने जारे वाले जिला भिवानी के कई गांवों में लोग रिश्ता करने से भी कतराने लगे हैं। ऐसे गांवों में बड़ी संख्या में युवा वर्ग अपराधों में संलिप्त पाया जाता है। भिवानी-रोहतक रोड पर स्थित ऐसे ही एक गांव में विवाह योग्य लड़की की संख्या तो सैंकड़ों में है, परन्तु गांव के अपराध के मामले में चर्चे दूर-दूर तक फैले होने के कारण इस गांव में लोग जल्दी से रिश्ता करने को तैयार नहीं होते। रिश्ता तो दूर की बात है ऐसे गांवों में तो वाहनों का देर से गुजरना भी खतरनाक माना जाता है। इन गांवों की बदनामी के कारण कई शरीफ युवकों की गेहूं के साथ घुन पिसने वाली स्थिति बनी हुई है। अपराध में अग्रणी गांवों में अधिकांश युवक डकैती, वाहन छीनने व लूटमार की घटनाओं में संलिप्त हैं, जबकि कुछ अवैध शराब की बिक्री व अफीम आदि की तस्करी करते हैं। प्रैसवार्ता को मिली जानकारी के अनुसार यूं तो अपराध में अग्रणी गांवों के युवक कई वर्षों से अपराधों में संलिप्त हैं, परन्तु प्रदेश में शराबबंदी के दौरान अपराधियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। उक्त गांवों के अधिकांश बेरोजगार युवकों ने शराब की अवैध बिक्री को अपनी कमाई का आसान ढंग मान लिया व इसकी तस्करी करने लग गए। जब तक प्रदेश में शराबबंदी लागू रही इनके ठाठ बने रहे। ये चंद ही दिनों में इस अवैध व्यापार के माध्यम से जीपों व कारों के स्वामी बन गए। इसी दौरान उन्हें पुलिस से बचने का ढंग भी आ गया और वे बड़े अपराधियों के संपर्क में भी आ गए। शराबबंदी समाप्त होने के बाद इन लोगों के लिए कमाई का एक बड़ा साधन समाप्त हो गया। ऐसे में कुछ ने तो अवैध शराब बनाने का काम शुरू कर दिया और कुछ अन्य अपराधों में संलिप्त हो गए। कानून भी इन अपराधियों के सामने बेबस नजर आता है। सविधान के अनुसार गांव में किसी घर की तलाशी से पूर्व वहां के किसी मौजित व्यक्ति को साथ लेना अनिवार्य है, लेकिन जहां पंच व सरपंच भी इन्हीं में से एक हो तो यह तो अपराधियों को पूर्व सूचना देने के समान है। मानवाधिकार व न्यायालय का भय भी पुलिस की कार्यप्रणाली में कई बार अवरोधक का कार्य करते हैं। आम धारणा है, कि जब तक अपराधी के साथ सख्ती न की जाए, तो वह अपराध का खुलासा नहीं करता, लेकिन कानून में सख्ती का प्रावधान नहीं है, जिस कारण अपराधियों के हौंसले इतने बढ़ गए हैं, कि कई बार तो पकड़े जाने पर भी उन्हें पुलिस थानों में सम्मानपूर्वक बैठाया जाता है। जेलों में फैला भ्रष्टाचार भी अपराध की वृद्धि में आग पर घी जैसा काम कर रहा है। कई बड़े अपराधियों की जेलों में मेहमानों की तरह सेवा होती है, जिससे उसके मन से भय नाम की चीज निकल जाती है। गवाही के अभाव में सजा भी कम ही लोगों की होती है। ज्यादातर अपराधी तो अपराध करने के बावजूद आसानी से छूट जाते हैं, क्योंकि या तो वो कोई गवाह छोड़ते नहीं या उसे गवाही देने नहीं देते या गवाह अपने बयान से मुकर जाता है। यहां तक कि कई बड़े-बड़े नामी अपराधियों की विभिन्न नेताओं से निकट संबंध भी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि पिछले कुछ समय में पंचायतों की गरिमा कम हुई है व कई पंचायती निर्णयों में माननीय न्यायालय का हस्तक्षेप भी हुआ है। पंचायतें कभी अपराधियों को दंडित करने के लिए की जाती थी, लेकिन वर्तमान में कई बार अपराधियों को संरक्षण प्रदान करने के लिए भी आयोजित हो रही हैं। ऐसी परिस्थितियों के चलते समाज के उस वर्ग को धक्का लगा है, जिसने सदैव बुराईयों के खिलाफ संघर्ष किया है-जिससे सामाजिक संबंधों में भी कड़वाहट आई है।

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