सिटीकिंग परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। सिटीकिंग परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 098126-19292 पर संपर्क करे सकते है।

BREAKING NEWS:

बीते कल की यादों को जब जब हमने सहलाया है....

30 दिंसबर 2009

प्रस्तुति: प्रवीण कुमार व आयुष्मान
वर्ष दो हजार नौ को अलविदा कहने व वर्ष दो हजार दस का साहित्यिक स्वागत करने के लिए चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के मीडिया सेंटर में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में नगर के जाने माने कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। गोष्ठी का संचालन करते हुए रतिया स्थित राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य और जाने-माने शायर प्रो. आर. के. शर्मा साइल ने पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष और कार्यक्रम के संयोजक वीरेन्द्र सिंह चौहान को अपनी रचना प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया। चौहान ने बीते दिनों की स्मृतियों का जिक्र कुछ यूं किया :
बीते कल की यादों को जब जब हमने सहलाया है।
विकल हुआ है तब तब मनवा टप टप नीर बहाया है।।
रिश्ते-नाते मीठी बातें लगती हैं शैतानी घातें ।
बिरहा की विषमय रातों ने गणित यही सिखलाया है।
पंजाबी के जाने माने कवि डा.दर्शन सिहं ने एक सुंदर प्रस्तुति देते हुए नव वर्ष के अरमानो के बारे में कुछ यूं फरमाया :
भुल्ल चुक्क स्वीकार करांगे,फेर वी बेड़ा पार करांगे।
नवे साल विच नवीयां रीझां दा सुपना साकार करांगे।
शायरों की इस महफिल में हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार डा. रूप देवगुण नव वर्ष के आगमन पर हो रही अनुभूतियों को कुछ इस प्रकार बयान किया :
जैसे किसी घर के विवाह की रौनक छा गई हो ।
जैसे कोई रेलगाड़ी किसी स्टेशन पर आ गई हो।
जैसे किसी के घर में मनवांच्छित मेहमान आ गया हो।
जैसे अंधेरी रात का सन्नाटा चांदनी पा गया हो।
युवाओं को समर्पित अपनी इस रचना पर डा.राज कुमार निजात ने खूब वाहवाही लूटी।
जन जन का विश्वास हो तुम,सबके मन की आस हो तुम।
एक सवेरा नया नया सा, नव -नूतन आकाश हो तुम।।
अंकुर हो तुम नए सृजन हो, नवयुग के प्रणेता हो।।
नई धुनों का नया राग, अदभुत एक विजेता हो।।
वरिष्ठ रचनाकार डा.जी डी चौधरी ने अपनी रचना कुछ यूं प्रस्तुत की :
तेरे स्वागत के लिए हम 1या बताएं नव वर्ष,
बस लगाएं बैठे हैं सौ9सौ आशाएं नव वर्ष।
भूत के कुछ रास्ते कांटो भरे पथरीले थे,
साफ सुथरी हो भविष्य की राहें नव वर्ष।
गोष्ठी के संचालक और गजलकार डा. आर. के. शर्मा साइल ने एक गजल प्रस्तुत कर खूब वाहवाही बटोरी।
अपने यारों की बात क्या कहिए, गम गुसारों की बात क्या कहिए।
साथ कहकर भी जो नही मिलते, इन किनारों की बात क्या कहिए।।
हमने पर्वत मचलते देखे हैं, बहते धारों की बात क्या कहिए।
सामने आकर कुछ नहीं कहते, पर्दादारों की बात क्या कहिए।।

Post a Comment