अनपढ़ता के अभिशाप को युवाओं की चुनौती
रोहतक(सिटीकिंग) कृप्या करके मेरा रूपया जमा करने का फार्मभर देंगे, भाई साहब। मुझे पढऩा व लिखना नहीं आता। मुझे घर नौकरानी रख लीजिए, बहन जी। घर का गुजारा नहीं चलता, पति अनपढ़ है, रिक्शा चलाता है। अंकल जी। मुझे अपनी चाय की दुकान पर बर्तन धोने का काम दे दीजिए, मेरे माता-पिता बहुत गरीब है, ठीक से खाना भी नहीं मिलता। ऐसे करूणामय वाक्य हर शहर, हर कस्बे और लगभग हर कालोनी में सुनाई देते है। इन सबकी जड़ है-अनपढ़ता। अनपढ़ता आज के प्रगतिशील समाज में एक सक्रामक रोग कैंसर की तरह फैल रही है। अनपढ़ होने के कारण एक आदमी कभी मजदूर की श्रेणी से ऊपर नहीं उठ पाता। उसकी निरक्षर पत्नी आर्थिक अभावों से जुझती हुई अपनी आवश्यकताओं का गला घोटते हुए अपनी सारी उम्र गवा देती है और उनके बच्चे पेट की आग बुझाने के लिए भिक्षावृति, चोरी व बालश्रम के शिकार हो जाते है। इस प्रकार अनपढ़ता का ये अभिशाप व्यक्ति को अपने चुंगल में जकड़ता चला जाता है। मंहगाई के इस दौर में गरीब और गरीब होता जा रहा है। उसे अपनी दो वक्त का रोटी कमाने में ही ऐडी-चोटी का दम लगाना पड़ता है तो ऐसी स्थिति में बच्चों को शिक्षित करने का विचार उनके सपनों में ही दम तोड़ देता है। वर्ग में फै ले अनपढ़ता के इस अभिशाप को एमटीएफसी स्कूल के युवाओं ने चुनौती दी है। इन युवाओं ने ''अनपढ़ता हटाओं शिक्षा बढ़ाओं'' अभियान को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर रोहतक शहर में फैली झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले, कुडा-कचरा बीनने वाले, भिक्षावृति में लिप्त तथा गरीब व जरूरतमंद परिवारों को 200 बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करते हुए अपनी चुनौती की सार्थकता को प्रमाणित किया है। एमटीएफसी स्कूल के प्रधान नरेश दल के कुनाल, हिना, सपना, पल्लवी, पूजा, सचिन, साहिल, अतुल व राज बताते है कि शहर में निरंतर किए जाने वाले सर्वे तथा शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए निकाले जाने वाली रैलियों के परिणामस्वरूप बडी संख्या में ऐसे बच्चों का पता चला है जो गरीब होने के कारण शिक्षा से वंचित है। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए बनाई गई योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है। स्वंय अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए इन युवाओं का कहना है कि देश के प्रत्येक बच्चे को शिक्षा रूपी पानी देकर और अनपढ़ता की कमर तोड़कर ही चैन की सांस लेंगे। शिक्षा ही वो सूर्य है जिसकी किरणों से प्रत्येक अभावग्रस्त व्यक्ति के जीवन में सवेरा होता है। साक्षरता की दर को निरंतर बढ़ाकर सूर्य के तेज को कोने-कोने में पहुंचसना हमारा संकल्प है।