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बहुमुखी प्रतिभा के धनी परेश रावल

15 जनवरी 2010

प्रस्तुति: अशोक भाटिया
फिल्म इंडस्ट्री में बहुत से ऐसे कलाकार है जो किसी एक इमेज में न बंध कर आज भी किसी भी प्रकार की भूमिका को करने में नहीं डरते है । उन्हीं में से एक नाम है परेश रावल का जो आज भी किसी एक ईमेज में टाइप नहीं हुए है । ऐसा भी कहा जा सकता है कि उन्हें जिस किसी भूमिका में ढाले उसे वह पर्दे पर उसी रूप में उतार सकने में समर्थ है । अब अपनी हाल ही में रिलीज हुई फिल्में ‘दन दना दन ‘ और ‘ पा ‘ के बाद उनकी आने वाली फिल्मों ‘रोड टू संगम ‘ और ‘रन ‘ में उनकी भूमिका कुछ हट कर है ।‘ रोड टू संगम ‘ में वे एक कटटर मुसलमान की भूमिका में है और देखा जाए तो पूरी फिल्म इसी भूमिका के उपर आधारित है । इस दमदार भूमिका व फिल्म से जुडने के बारे में परेश बताते है , जब इस फिल्म के निर्देशक अमित राय मेरे पास कहानी सुनाने आये तो मैं उसी समय मैं ,मेरी वाली भूमिेका में खो गया था । मै उस समय गोवा में शूटिंग कर रहा था और कहानी सुनाने के लिए निर्देशक अमित राय को केवल 10 मिनट का समय दिया था पर एक बार जब उन्होंने कहानी सुनाना शुरू किया तो मैं दो घंटे तक उनसे कहानी के बारे में ही चर्चा करता रहा क्योंकि मैं हशमत उल्लाह की भूमिका में फंस चुका था और मैंने तुरंत इस फिल्म के लिए हां कर दी । यह फिल्म मेरी दूसरी फिल्मों से बिल्कुल अलग है ।
इस फिल्म में वे अपने आपको एक कलाकार की नजर से नहीं एक चुनौति के रूप में देखते है । वे बताते है, कहानी में बहुत सी नई बातें है जो दिल के बहुत ही करीब है और कहानी को गडने का तरीका भी कुछ अलग है । हिन्दू मुस्लिम के टापिक को बहुत ही संवेदनशील तरीके से दर्शाया गया है । कहानी में कुछ दम है और उसी के कारण मैंने यह चुनौती स्वीकार की है । एक कलाकार के रूप में मुझे अपने अंदर के थिएटर के कलाकार को बाहर निकालना पडा ।
सुना जाता है कि यह चरित्र सरदार पटेल के चरित्र के समानन्तर है इस बारे में परेश बताते है , मैं यह तो नहीं कह सकता कि हशमत का किरदार सरदार पटेल की तरह दर्शकों को पसंद आयेगा पर इस किरदार में बहुत ही दम है । मेरे ख्याल से लोगों को यह फिल्म कुछ अलग होने के कारण लोगों को पसंद आयेगी । जिसने भी अब तक इस फिल्म को देखा है उन्होंने इसे खुले दिल से सराहा है । मामी फिल्म फैस्टीवल में दर्शको ने इसे सर्वोतम फिल्म का तोहफा दिया है । कान्स में भी मांग पर इसका पुनः प्रदर्शन करना पडा था ।
असली हशमत ने इस फिल्म का वीडियो देखने से मना कर दिया था क्योंकि इसमें परेश ने हाव भाव में अपने हिसाब से बदलाव किया था । इस बारे में परेश बताते है , हशमत उल्लाह का इतने प्रसिद्ध पहीं थे कि उनकी भूमिका करने के लिए उनकी नकल की जाए मुझे तो एक कलाकार के रूप में उनकी सोच को दर्शकों के सामने रखना था ।
परेश को अब तक कामेडी कलाकार के रूप में देखा गया है तो क्या अब दर्शक उन्हें संजीदा कलाकार के रूप में स्वीकार करेंगे ? इस बारे में परेश बताते है , क्यों नहीं जब मैंने ओये लकी ओये , मुंबई मेरी जान , फिराक , यूं होता तो क्या होता जैसी गम्भीर फिल्में को दर्शकों ने स्वीकार किया है तो अब क्यों नहीं । अब तो मैं नकारात्मक भूमिका का इंतजार कर रहा हूं जिससे मुझे ज्यादा चुनौती का अहसास हो । हमारी फिल्म की शूटिंग इलाहाबाद में हुई थी वहां कई मुसलमानों ने मुझे पहचाना ही नहीं । हां पर मुझे घुटने में दर्द रहता है इस कारण नमाज पढने में तकलीफ आई वहां लोगों को लगा कि मैं परेश रावल हूं ।

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