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सिरसा में पशु कल्याण विषय पर वेबवार्ता कार्यक्रम आयोजित

07 फरवरी 2010
प्रस्तुति: प्रवीण कुमार व आयुष्मान
भारतीय संस्कृति में गौ अति पूजनीय है लेकिन फिर भी कुछ लोग अज्ञानता वश या कुछ लोग स्वार्थ पूर्ति के लिए गौ का निरादर करते हैं। इनमें वे लोग की शामिल हैं जो सुबह शाम दूध निकाल कर अपनी गायों को सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं। यह गौधन न केवल यातायात में बाधा बनता है बल्कि सड़कों पर घूमते हुए पोलीथीन सरीखी विषैली चीजें खाकर स्वयं भी कष्ट पाती हैं। यह सिलसिला थमना चाहिए। सिरसा में डेरी संचालकों को इसके लिए समझाने का अभियान जारी है। अगले आठ-दस दिन तक लोगों को मनाने का प्रयास होगा और उसके बाद भी जो नहीं समझेगा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। यह कहना है जीव-जंतु कल्याण बोर्ड के मानद जीव जंतु कल्याण अधिकारी रमेश मेहता का। मेहता सामुदायिक रेडियो के कार्यक्रम हैलो सिरसा में पशु कल्याण विषय पर केन्द्र निदेशक वीरेंद्र सिंह चौहान के साथ बातचीत कर रहे थे। उन्होंने ने कहा सिरसा शहर को अब भी दो गौशालाओं की आवश्यकता है। सरकार निर्माण करके दे दे तो सड़कों पर कोई गौ बेसहारा नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि गौरक्षा समिति को एक बार फिर से सक्रिय कर उसके अभियान को नई गति देने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में गौ संरक्षण के लिए राज्य में गौसेवा आयोग के गठन की मांग भी उठी। मेहता ने कहा कि सिरसा में पशु क्रूरता निवारण समिति के गठन के लिए वे जिलाधीश डा. युद्धबीर सिंह ख्यालिया से बातचीत करेंगे। प्रस्तुत है इस बातचीत के संपादित अंश :
गौधन संरक्षण में किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
सिरसा में मात्र दो गऊशालाएं हैं जिनमें क्षमता से अधिक गौधन है। सरकार को चाहिए कि सिरसा में कुछ और गऊशालाओं का निर्माण करवाए ताकि बेसहारा गायों को संरक्षण दिया जा सके। गौभक्तों के सहयोग से कुछ राशि एकत्रित की जाती है जिसे कि विभिन्न गऊशालाओं में गौसेवा के लिए भेज दिया जाता है और सरकार द्वारा भी कुछ अनुदान दिया जाता है लेकिन यह ऊँट के मुंह में जीरे के समान है। सिरसा शहर से बेसहारा गायों को गौशालाओं में भेजने का अभियान पूरी तरह कामयाब होने में एक बाधा यह भी है कि राजस्थान से बड़ी संख्या में गौधन को लोग इस ओर छोड़ जाते हैं।
अपने गौधन को सड़कों पर बेसहारा छोडऩे वाले लोगों को दंडित करने के लिए क्या प्रावधान है?
इस समस्या से निपटने के लिए कई बार प्रशासन से भी अपील की गई है। सिरसा में गौरक्षा समिति के द्वारा भी ऐसे लोगों को जुर्माना लगाकर दंडित किया जाता है। पहली बार गौधन को बेसहारा छोडऩे पर ग्यारह सौ रूपये, दूसरी बार इस अपराध के लिए इक्कीस सौ रूपये व तीसरी बार पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कार्यवाही करने का प्रावधान है। इस समस्या से पूर्णतया राहत पाने के लिए आमजन को भी आगे आना होगा।
बेसहारा पशुओं के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है?
कुछ लोग पुण्य कमाने के लिए गौधन को चारा डालते है। सड़कों पर टाल स्थापित होने के कारण ऐसे पशुओं का सड़कों के किनारे जमघट लगा रहता है जिससे यह समूह किसी भी सड़क दुर्घटना का कारण बन जाता है। सभी गौ सेवकों को चाहिए कि वे गऊशालाओं में जाकर ही चारा आदि खिलाएं ताकि उनके द्वारा खिलाया गया चारा किसी दुर्घटना का कारण न बने और वे पुण्य की जगह पाप के भागीदार न बने।
जीव जन्तु कल्याण अधिकारी की शक्तियां क्या है?
यदि कोई व्यक्ति अपने निवास स्थान पर किसी पशु या पक्षी को भूखा प्यासा बांधता है, पशुओं पर अत्याधिक बोझ लादता है, उन्हें पीटता है या गौधन को वध के लिए ले जाता है तो इस तरह के तमाम बुरे कार्य करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करने का अधिकार जीव जन्तु कल्याण अधिकारी को प्राप्त है। इन मामलों में कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

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