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सुलक्षण नारी से मिलती है घर में सुख शांति

25 मार्च 2010
हिसार: श्रीरामलीला कमेटी के तत्वावधान में झूथरा धर्मशाला में दिव्य रामकथा में श्रीधाम वृन्दावन से पधारे संत प्रीतमदास रामायणी ने कल कथा के नौवें दिन कहा कि सतयुग से लेकर कलयुग की इस इक्कीसवीं सदी तक हमारे देश में हजारों धर्मात्मा प्रतापी राजाओं ने राज्य किया, परंतु आदर्श राज्य के नाम से अगर किसी राज्य का नाम लिया जाता है तो उसे राम राज्य कहते हैं। आज रामराज्य के बारे में समस्त विश्व में विचार किया जाता है कि राम राज्य में सभी लोग सब प्रकार से सुखी थे। सातों प्रकार के सुख सभी प्रजा वासियों को प्राप्त थे। इन सात सुखों में प्रथम सुख निरोगी काया किसी को किसी प्रकार का रोग नहीं था। रोग न होने का कारण सभी लोग योगी थे। दूजा सुख घर में हो माया, क्योंकि जहां स्वयं नारायण स्वरूप भगवान श्रीराम राज्य का संचालन करे हो, वहां लक्ष्मी की भरपूर कृपा थी। तीजा सुख हो सुलक्षण नारी, क्योंकि घर का मालिक कितना भी पैसा कमाए, परंतु घर में गृहणी सुलक्षणा नहीं है। घर में सब कुछ होते भी सुख शांति प्राप्त नहीं होती। स्वयं महारानी सीता सुलक्षणा थी। इसलिए प्रजा का हर नारी वर्ग उनका अनुकरण करता था। चौथा सुख सुत आज्ञाकारी, क्योंकि भगवान राम ने पुत्र कैसा होना चाहिए, अपने आचरण से करके दिखाया। पंचम सुख अकल महान, सभी प्रजा बुद्धिमान थी। छठा सुख जग में हो सम्मान। सभी प्रजावासियों का सम्मान प्राप्त था। सातों सुख हो आत्म ज्ञान। सभी प्रजावासियों को आत्म तत्व व परमातत्व दोनों का ज्ञान प्राप्त था। सभी ज्ञानी थे, क्योंकि ज्ञान प्राप्त होने का कारण सत्संग होना था। सभी भगवान की नित्य कथा सुनते थे। इस प्रकार राम राज्य में सभी प्रकार से सभी लोग सुखी थे। शहर के मुख्य बाजारों से श्रीरामजन्म की सुंदर शोभा यात्रा भी निकाली गई, जिसमें श्रीराम जन्म, गणेश, दुर्गा जी, श्रीराम की झांकी बैंड बाजों के साथ निकाली गई।

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