बेजान पशु-पक्षी इंसानों पर आश्रित
06 अप्रैल 2010
सिरसा: हर साल गर्मी के मौसम में हजारों पक्षी अकाल मौत के मुँह में समा जाते हैं जिसका हमें अहसास भी नहीं हो पाता। यह शब्द मानद जीव-जन्तु कल्याण अधिकारी रमेश मेहता ने कहे। उन्होंने कहा कि गर्मी के मौसम में तालाब तथा पानी के स्त्रोत सूख जाते है तथा खुले आसमान व चिलचिलाती धूप में विचर रहे पक्षियों को प्यास सबसे अधिक परेशान करती है परन्तु पानी का कोई भी स्त्रोत न मिलने के कारण वे अकाल मृत्यु की गोद में समा जाते हंै। श्री मेहता ने नगरवासियों से अपने-अपने घर की छतों पर मिट्टी का एक पानी से भरा हुआ बर्तन छायादार स्थान पर रखने तथा पानी को रोजाना बदलने का आह्वान किया है। उन्होंने नगर के जीव प्रेमियों से इस पुनीत कार्य को अपने बच्चों के हाथों से करवाने का आह्वान किया है ताकि आने वाली पीढ़ी सुसंस्कृत एवं संस्कारवान बन सके तथा उनके हृदय मे पशु-पक्षियों के प्रति संवेदना पैदा हो। इसके अतिरिक्त श्री मेहता ने पक्षियों को हर रोज उचित स्थान देखकर चुगादाना की व्यवस्था करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में हर व्यक्ति को इस प्रकार के कार्य हेतु एक निश्चित समय निकालना चाहिए। यद्यपि हम समाज में रह रहे हैं अत: इस प्रकार के सामाजिक दायित्वों को निभाना हमारा एक नैतिक कत्र्तव्य है। बेजुबान पशु-पक्षी जो कि इन्सानों पर आश्रित है तथा फलस्वरूप ये पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में भी अहम योगदान देते हैं जिसका अप्रत्यक्ष रूप से लाभ हम इन्सानों को ही मिलता है। श्री मेहता ने इस अभियान से नगर के जीव प्रेमियों को आज से ही जुड़कर इस पुनीत महायज्ञ में भागी बननेे का आह्वान किया है।
सिरसा: हर साल गर्मी के मौसम में हजारों पक्षी अकाल मौत के मुँह में समा जाते हैं जिसका हमें अहसास भी नहीं हो पाता। यह शब्द मानद जीव-जन्तु कल्याण अधिकारी रमेश मेहता ने कहे। उन्होंने कहा कि गर्मी के मौसम में तालाब तथा पानी के स्त्रोत सूख जाते है तथा खुले आसमान व चिलचिलाती धूप में विचर रहे पक्षियों को प्यास सबसे अधिक परेशान करती है परन्तु पानी का कोई भी स्त्रोत न मिलने के कारण वे अकाल मृत्यु की गोद में समा जाते हंै। श्री मेहता ने नगरवासियों से अपने-अपने घर की छतों पर मिट्टी का एक पानी से भरा हुआ बर्तन छायादार स्थान पर रखने तथा पानी को रोजाना बदलने का आह्वान किया है। उन्होंने नगर के जीव प्रेमियों से इस पुनीत कार्य को अपने बच्चों के हाथों से करवाने का आह्वान किया है ताकि आने वाली पीढ़ी सुसंस्कृत एवं संस्कारवान बन सके तथा उनके हृदय मे पशु-पक्षियों के प्रति संवेदना पैदा हो। इसके अतिरिक्त श्री मेहता ने पक्षियों को हर रोज उचित स्थान देखकर चुगादाना की व्यवस्था करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में हर व्यक्ति को इस प्रकार के कार्य हेतु एक निश्चित समय निकालना चाहिए। यद्यपि हम समाज में रह रहे हैं अत: इस प्रकार के सामाजिक दायित्वों को निभाना हमारा एक नैतिक कत्र्तव्य है। बेजुबान पशु-पक्षी जो कि इन्सानों पर आश्रित है तथा फलस्वरूप ये पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में भी अहम योगदान देते हैं जिसका अप्रत्यक्ष रूप से लाभ हम इन्सानों को ही मिलता है। श्री मेहता ने इस अभियान से नगर के जीव प्रेमियों को आज से ही जुड़कर इस पुनीत महायज्ञ में भागी बननेे का आह्वान किया है।