सामाजिक बुराईयों के खिलाफ कैम्प आयोजित
01 मई 2010
सिरसा(न्यूजप्लॅस) गत दिवस ज्ञान ज्योति कल्चरल एवं एजुकेशन सोसायटी द्वारा जिले के गांव पनिहारी में स्थित ढाणी सरपंच वाली में बाबा की समाधि के पास मेन रोड पर विभिन्न सामाजिक बुराईयों के प्रति कैम्प का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सोसायटी के सभी सदस्यों द्वारा आने-जाने वाले लोगों को सामाजिक बुराईयों जैसे कन्या भू्रण हत्या, दहेज प्रथा तथा अल्प आयु में शादी करने जैसीे कुरीतियों के प्रति जागरूक किया गया। संस्था के अधिकारी ने बताया कि कन्या (स्त्री) हमारे समाज का आधार है। इसके बिना मानव जीवन की उत्पत्ति की कल्पना भी नहीं की जा सकती। अत: हमें कन्या भ्रूण हत्या अथवा जन्म से पूर्व लिंग जांच जैसा जघन्य अपराध भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इस सम्बन्ध में सरकार ने भी पी.एन.डी.टी. एक्ट के तहत इस घिनौने कृत्य पर पाबंदी लगाई हुई है। इस एक्ट के अन्तर्गत जांच करवाने वाले परिवार के सदस्य और यहां तक कि जांच करने वाले चिकित्सक भी सजा के हकदार हैं। संस्था के सचिव कुलदीप कुमार ने दहेज प्रथा एवं अल्प आयु से सम्बन्धित सामाजिक बुराईयों को त्यागने के लिए लोगों को सचेत किया। उन्होंने कहा कि अगर हम स्वयं दहेज लेना-देना छोड़ देंगे तो समाज अपने आप छोड़ देगा। हम और आप ही तो समाज हैं, समाज हम और आप से कोई अलग इकाई नहीं है। इसके साथ-साथ सोसायटी के सदस्यों ने लोगों को बच्चों की अल्प आयु में शादी न करने के प्रति जागरूक किया तथा कहा कि अल्प आयु में विवाह करना एक सामाजिक अपराध ही नहीं बल्कि दो मासूमों की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ भी है। अत: कन्या की उम्र कम-से-कम 18 वर्ष तथा लड़के की उम्र 21 वर्ष पूर्ण होने पर ही शादी करनी चाहिए। इस अवसर पर गांव के सरपंच सोनाराम, रविन्द्र कांटीवाल, राजेश कालांवाली, अवतार थिराज, रेशम बमनियां तथा श्रीमती आत्म प्रकाश आदि उपस्थित थे।
सिरसा(न्यूजप्लॅस) गत दिवस ज्ञान ज्योति कल्चरल एवं एजुकेशन सोसायटी द्वारा जिले के गांव पनिहारी में स्थित ढाणी सरपंच वाली में बाबा की समाधि के पास मेन रोड पर विभिन्न सामाजिक बुराईयों के प्रति कैम्प का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सोसायटी के सभी सदस्यों द्वारा आने-जाने वाले लोगों को सामाजिक बुराईयों जैसे कन्या भू्रण हत्या, दहेज प्रथा तथा अल्प आयु में शादी करने जैसीे कुरीतियों के प्रति जागरूक किया गया। संस्था के अधिकारी ने बताया कि कन्या (स्त्री) हमारे समाज का आधार है। इसके बिना मानव जीवन की उत्पत्ति की कल्पना भी नहीं की जा सकती। अत: हमें कन्या भ्रूण हत्या अथवा जन्म से पूर्व लिंग जांच जैसा जघन्य अपराध भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इस सम्बन्ध में सरकार ने भी पी.एन.डी.टी. एक्ट के तहत इस घिनौने कृत्य पर पाबंदी लगाई हुई है। इस एक्ट के अन्तर्गत जांच करवाने वाले परिवार के सदस्य और यहां तक कि जांच करने वाले चिकित्सक भी सजा के हकदार हैं। संस्था के सचिव कुलदीप कुमार ने दहेज प्रथा एवं अल्प आयु से सम्बन्धित सामाजिक बुराईयों को त्यागने के लिए लोगों को सचेत किया। उन्होंने कहा कि अगर हम स्वयं दहेज लेना-देना छोड़ देंगे तो समाज अपने आप छोड़ देगा। हम और आप ही तो समाज हैं, समाज हम और आप से कोई अलग इकाई नहीं है। इसके साथ-साथ सोसायटी के सदस्यों ने लोगों को बच्चों की अल्प आयु में शादी न करने के प्रति जागरूक किया तथा कहा कि अल्प आयु में विवाह करना एक सामाजिक अपराध ही नहीं बल्कि दो मासूमों की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ भी है। अत: कन्या की उम्र कम-से-कम 18 वर्ष तथा लड़के की उम्र 21 वर्ष पूर्ण होने पर ही शादी करनी चाहिए। इस अवसर पर गांव के सरपंच सोनाराम, रविन्द्र कांटीवाल, राजेश कालांवाली, अवतार थिराज, रेशम बमनियां तथा श्रीमती आत्म प्रकाश आदि उपस्थित थे।