सभी इंद्रियों से भक्ति रस का रसास्वादन करने वाला प्रत्येक व्यक्ति गोपी
05 मई 2010
सिरसा:सभी इंद्रियों से भक्ति रस का रसास्वादन करने वाला प्रत्येक व्यक्ति गोपी है। यह बात श्री सनातन धर्म सभा सिरसा के तत्वावधान में आयोजित में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान महायज्ञ के पांचवे दिन के प्रथम सत्र में नैमिषारण्यतीर्थ से आए दण्डी स्वामी डा. केशवानंद सरस्वती जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा की अमृतवर्षा करते हुए कही। आज के कार्यक्रम में महेश प्रकाश चमडिय़ा, जयगोबिंद गर्ग, अनिल तलवारिया, हरीश सोनी, कुंदन लाल नागपाल, राधेश्याम गर्ग, अशोक तलवाडिय़ा आदि ने मुख्य यजमान की भूमिका में पूजा मंडप में पूजा अर्चना करवाकर कथा का शुभारंभ करवाया। इस आयोजन में सनातन धर्म सभा के प्रधान आरपी शर्मा, कार्यकारी प्रधान नवीन केडिया, सजीव बजरंग पारीक, संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य द्रोण प्रसाद कोइराला, प्रमोद मोहन गौत्तम, अश्वनी बंसल सहित अनेक कार्यकत्र्ता कथा का विधिवत संचालन कर रहे थे। श्री गणेश धर्म न्यास के विशेष सहयोग से आयोजित इस कथा में नैमिषारण्यतीर्थ से आए दण्डीस्वामी डा. केशवानंद सरस्वती ने भगवान श्रीकृष्ण लीला को पुरूषोत्तम बताते हुए कहा कि इसकी विविध लीलाएं इतनी अद्भुत हैं कि भगवान अपने भक्तों को इन लीलाओं के माध्यम से आत्मबल प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि पूतना अविद्या अज्ञान का प्रतीक है जिसका भगवान श्रीकृष्ण उद्धार किया जिसे तृणावर्त काम का प्रतीक माना गया है। केवल भगवान ही तृणावर्त का उद्धार करके गोकुल को स्वस्थ कर सकते हैं। कथा के दौरान श्रीमद्भागवत की विभिन्न चौपाइयों को संगीतमयी अंदाज में प्रस्तुत करके स्वामी केशवानंद ने भगवान कृष्ण और उनकी माता के बीच माखन चोरी जैसे संदर्भों की आकर्षक प्रस्तुति दी। उन्होंने प्रत्येक प्रसंग का इतना विस्तार से व्याख्यान किया कि श्रद्धालु भक्तिमय वातावरण में देर तक आनंद लेते रहे। आज के आयोजन में ओमप्रकाश सेठी, विरेंद्र माहेश्वरी, प्रदीप गुप्ता, कांता, सरोज,राकेश कुमारी, कमलेश को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रो. गणेशी लाल, पवन डुंगामुंगा वाले, राधेश्याम, बीएन बांसल, सुरेंद्र बंसल आदि उपस्थित थे। रात्रि में शीशकेदानी भंडारा समिति की ओर से जागरण किया गया जिसमें अनेक कलाकारों ने सुंदर भजनों के माध्यम से श्रोताओं पर भक्तिरस की वर्षा की।
सिरसा:सभी इंद्रियों से भक्ति रस का रसास्वादन करने वाला प्रत्येक व्यक्ति गोपी है। यह बात श्री सनातन धर्म सभा सिरसा के तत्वावधान में आयोजित में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान महायज्ञ के पांचवे दिन के प्रथम सत्र में नैमिषारण्यतीर्थ से आए दण्डी स्वामी डा. केशवानंद सरस्वती जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा की अमृतवर्षा करते हुए कही। आज के कार्यक्रम में महेश प्रकाश चमडिय़ा, जयगोबिंद गर्ग, अनिल तलवारिया, हरीश सोनी, कुंदन लाल नागपाल, राधेश्याम गर्ग, अशोक तलवाडिय़ा आदि ने मुख्य यजमान की भूमिका में पूजा मंडप में पूजा अर्चना करवाकर कथा का शुभारंभ करवाया। इस आयोजन में सनातन धर्म सभा के प्रधान आरपी शर्मा, कार्यकारी प्रधान नवीन केडिया, सजीव बजरंग पारीक, संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य द्रोण प्रसाद कोइराला, प्रमोद मोहन गौत्तम, अश्वनी बंसल सहित अनेक कार्यकत्र्ता कथा का विधिवत संचालन कर रहे थे। श्री गणेश धर्म न्यास के विशेष सहयोग से आयोजित इस कथा में नैमिषारण्यतीर्थ से आए दण्डीस्वामी डा. केशवानंद सरस्वती ने भगवान श्रीकृष्ण लीला को पुरूषोत्तम बताते हुए कहा कि इसकी विविध लीलाएं इतनी अद्भुत हैं कि भगवान अपने भक्तों को इन लीलाओं के माध्यम से आत्मबल प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि पूतना अविद्या अज्ञान का प्रतीक है जिसका भगवान श्रीकृष्ण उद्धार किया जिसे तृणावर्त काम का प्रतीक माना गया है। केवल भगवान ही तृणावर्त का उद्धार करके गोकुल को स्वस्थ कर सकते हैं। कथा के दौरान श्रीमद्भागवत की विभिन्न चौपाइयों को संगीतमयी अंदाज में प्रस्तुत करके स्वामी केशवानंद ने भगवान कृष्ण और उनकी माता के बीच माखन चोरी जैसे संदर्भों की आकर्षक प्रस्तुति दी। उन्होंने प्रत्येक प्रसंग का इतना विस्तार से व्याख्यान किया कि श्रद्धालु भक्तिमय वातावरण में देर तक आनंद लेते रहे। आज के आयोजन में ओमप्रकाश सेठी, विरेंद्र माहेश्वरी, प्रदीप गुप्ता, कांता, सरोज,राकेश कुमारी, कमलेश को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रो. गणेशी लाल, पवन डुंगामुंगा वाले, राधेश्याम, बीएन बांसल, सुरेंद्र बंसल आदि उपस्थित थे। रात्रि में शीशकेदानी भंडारा समिति की ओर से जागरण किया गया जिसमें अनेक कलाकारों ने सुंदर भजनों के माध्यम से श्रोताओं पर भक्तिरस की वर्षा की।