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निशक्तों की सेवा परम कर्तव्य:दांडी स्वामी

09 May 2010
सिरसा। निशक्त व्यक्ति दूसरों के सहयोग सहायता पर निर्भर रहता है। ऐसे लोगों की सेवा करना सबसे बड़ा पुण्य है। दिशा संस्था द्वारा इस दिशा में जो पहल की जा रही है वह सराहनीय है। यह बात नैमिषारण्य तीर्थ से आए हुए डा. दांडी स्वामी केशवानंद सरस्वती ने आज दिशा का भ्रमण करने के बाद कही। उन्होंने दिशा के हॉस्टल में रहने वाले विशेष बच्चों को फल वितरित किए तथा उनका हालचाल जाना। इस अवसर पर दिशा के संरक्षक ऐसी गाड़ी, निदेशिका गीता कथूरिया, सचिव सुरेंद्र भाटिया, वृद्धाश्रम के प्रधान डॉ. आरएस सांगवान, वैद्य महावीर प्रसाद, रेशमा गाड़ी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। प्रात: 10 बजे दिशा में पहुंचे स्वामी केशवानंद महाराज ने कहा कि जो लोग शारीरिक मानसिक रूप से परेशान है उनकी मदद करनी चाहिए। पिछले जन्मों के कर्मों के आधार पर इस जन्म में इस तरह का कष्ट मिलता है जिसे समाप्त करने तथा सुख देने के लिए सभी लोगों को सहायक बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि विशेष बच्चों के लिए अपने सामथ्र्य के अनुसार सहयोग करने के साथ ही भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि इन बच्चों के जीवन में आगे से कोई दुख आए। विशेष बच्चों के उत्थान के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए स्वामी जी ने कहा कि संस्था के संचालक दिशा के लिए एकजुट होकर कई दिशाओं से सहायता प्राप्त करके सेवा कार्य करते हैं। शायद ईश्वर ने इसके लिए संचालकों को शक्ति दी है ताकि वे विशेष बच्चों की हरसंभव मदद कर सके। एक सवाल के जवाब में दांडी स्वामी ने कहा कि आज के दौर में साधु-संतों के आचरण पर जो बखेड़ा खड़ा हो रहा है, उसके लिए किसी प्रकार की कार्रवाई की जरूरत है। ऐसे संत-साधु अपने गलत आचरण से खुद--खुद समाप्त हो जाएंगे, उन्हें प्रचारित करने की आवश्यकता नहीं है। कथा के महत्व के बारे में उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति पूरे सप्ताह पाप करता है और यदि एक दिन के लिए कथा श्रवण कर लेता है तो उसके एक सप्ताह के बुरे कर्म नष्ट हो जाते हैं। स्वामी जी ने अपनी ओर से दिशा के बच्चों के लिए आर्थिक मदद दी तथा उसके बाद वे मां कस्तूरबा गांधी वृद्धाश्रम में गए तथा वहां रहने वालों से बातचीत की तथा फल वितरित किए।


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