राम और कृष्ण दोनों समान: स्वामी डा.केशवानंद सरस्वती
04 मई 2010
सिरसा(न्यूजप्लॅस) श्री सनातन धर्म सभा सिरसा के तत्वावधान में आयोजित में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान महायज्ञ के चौथे दिन के प्रथम सत्र में नैमिषारण्यतीर्थ से आए दण्डी स्वामी डा. केशवानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि राम और कृष्ण दोनों समान है और दोनों का लक्ष्य भी एक है केवल कार्यशैली भिन्न-भिन्न है। आज के कथा समारोह में संस्कृत विद्वान श्रीगोपाल शास्त्री, चिंरजी लाल, रमेश मैहता, कृष्ण बलदेव, मा. गौरीशंकर, बजरंग मोहन बंसल, कांतादेवी, विद्या देवी, किताबो देवी, बिमला देवी आदि को इस आयोजन में अहम योगदान देने के लिए सनातन धर्म मंदिर की ओर से सभा के प्रधान आरपी शर्मा ने स्वामी जी के करकमलों से सम्मानित करवाया। श्री गणेश धर्मार्थ न्यास के संचालक वैद्य महावीर प्रसाद और इस न्यास से जुड़े सभी श्रद्धालुओं के अनूठे योगदान से चल रही इस के श्रवण के लिए प्रतिदिन शहर के गणमान्य जन शिरकत कर रहे हंै जिनमें मुख्य रूप से पूर्व मंत्री प्रो. गणेशी लाल, सेवानिवृत अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एमएल गोयल, बीएन बांसल, वैद्य श्रीनिवास, रामअवतार हिसारिया, अश्वनी गोयल आदि शामिल हैं। आज की कथा के मुख्य यजमान केएल नागपाल के अलावा बजरंग पारीक अशोक बंसल और इंद्रगोयल भी यजमान की भूमिका में थे। डा. केशवानंद सरस्वती जी महाराज ने भगवान राम को जीवन के प्रति गंभीर और मर्यादित आचरण करने की शिक्षा प्रदान करने वाला व्यक्तित्व बताया। उन्होंने कहा कि भगवान राम का प्रत्येक क्रियाकलाप अनुकरणीय है। स्वामी जी ने कहा कि भगवान राम ने भाई, पति, पुत्र का आदर्श निभाया और शत्रुता में भी मर्यादा व आदर्श का विशेष ध्यान रखा। सूर्यवंशी भगवत भगत राजाओं के चरित्र वर्णन करते हुए स्वामी जी ने अम्बरीश की कथा में बताया कि भगत वही है जिसमें विनम्रता है। दुर्वासा जी ने क्रोधाविष्ट होकर अपना घटाया और अम्बरीश राजा ने विनम्रता से भगवान को भी प्रगट किया और दुर्वासा को भगत की परिभाषा से परिचित करवाया। स्वामी जी ने राम जन्मोत्सव में रामचरित्र अत्यंत सुंदर ढंग से श्रवण करवाया। उन्होंने रामचरित्र मानस की चौपाई- 'तेहि क्षण राम मध्य धनु तोड़ा' इस चौपाई की अत्यंत विस्तार से व्याख्या की और चौपाई के मध्य शब्द का प्रयोग करने वाले गौस्वामी तुलसीदास की भावना को प्रगट किया।
सिरसा(न्यूजप्लॅस) श्री सनातन धर्म सभा सिरसा के तत्वावधान में आयोजित में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान महायज्ञ के चौथे दिन के प्रथम सत्र में नैमिषारण्यतीर्थ से आए दण्डी स्वामी डा. केशवानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि राम और कृष्ण दोनों समान है और दोनों का लक्ष्य भी एक है केवल कार्यशैली भिन्न-भिन्न है। आज के कथा समारोह में संस्कृत विद्वान श्रीगोपाल शास्त्री, चिंरजी लाल, रमेश मैहता, कृष्ण बलदेव, मा. गौरीशंकर, बजरंग मोहन बंसल, कांतादेवी, विद्या देवी, किताबो देवी, बिमला देवी आदि को इस आयोजन में अहम योगदान देने के लिए सनातन धर्म मंदिर की ओर से सभा के प्रधान आरपी शर्मा ने स्वामी जी के करकमलों से सम्मानित करवाया। श्री गणेश धर्मार्थ न्यास के संचालक वैद्य महावीर प्रसाद और इस न्यास से जुड़े सभी श्रद्धालुओं के अनूठे योगदान से चल रही इस के श्रवण के लिए प्रतिदिन शहर के गणमान्य जन शिरकत कर रहे हंै जिनमें मुख्य रूप से पूर्व मंत्री प्रो. गणेशी लाल, सेवानिवृत अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एमएल गोयल, बीएन बांसल, वैद्य श्रीनिवास, रामअवतार हिसारिया, अश्वनी गोयल आदि शामिल हैं। आज की कथा के मुख्य यजमान केएल नागपाल के अलावा बजरंग पारीक अशोक बंसल और इंद्रगोयल भी यजमान की भूमिका में थे। डा. केशवानंद सरस्वती जी महाराज ने भगवान राम को जीवन के प्रति गंभीर और मर्यादित आचरण करने की शिक्षा प्रदान करने वाला व्यक्तित्व बताया। उन्होंने कहा कि भगवान राम का प्रत्येक क्रियाकलाप अनुकरणीय है। स्वामी जी ने कहा कि भगवान राम ने भाई, पति, पुत्र का आदर्श निभाया और शत्रुता में भी मर्यादा व आदर्श का विशेष ध्यान रखा। सूर्यवंशी भगवत भगत राजाओं के चरित्र वर्णन करते हुए स्वामी जी ने अम्बरीश की कथा में बताया कि भगत वही है जिसमें विनम्रता है। दुर्वासा जी ने क्रोधाविष्ट होकर अपना घटाया और अम्बरीश राजा ने विनम्रता से भगवान को भी प्रगट किया और दुर्वासा को भगत की परिभाषा से परिचित करवाया। स्वामी जी ने राम जन्मोत्सव में रामचरित्र अत्यंत सुंदर ढंग से श्रवण करवाया। उन्होंने रामचरित्र मानस की चौपाई- 'तेहि क्षण राम मध्य धनु तोड़ा' इस चौपाई की अत्यंत विस्तार से व्याख्या की और चौपाई के मध्य शब्द का प्रयोग करने वाले गौस्वामी तुलसीदास की भावना को प्रगट किया।