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परमानन्द मिल जाये तो जिंदगी में परमानेंट बहार छा जाती है: संत गुरमीत

23 May 2010
सिरसा। मालिक ने आदमी के अंदर बे-इन्तेहा शक्तियां भरी हैं लेकिन मायक पदार्थों में, भोगो में उलझा इंसान खाली हुआ जाता है और सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं, जैसा हुआ रहता है, उक्त शब्द पूजनीय संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने डेरा सच्चा सौदा के शाह सतनाम जी धाम में आयोजित सत्संग के दौरान फरमाए। भारी तादाद में सत्संग सुनने आई साध संगत को संबोधित करते हुए संत जी ने आगे कहा आदमी अपने अंदर सोई हुए शक्तियों को जगा सके, खंड ब्रह्मांड को पार कर मालिक के दर्श दीदार कर सके इसलिए संत सत्संग लगाते हैं। गुरु जी ने आगे कहा कि सत्संग में जो तरीका बताया जाता है उस पर अमल करके अंदर की सोई शक्तियों को जगाया जा सकता है परमानन्द को महसूस किया जा सकता है। और एक बार परमानन्द मिल जाये तो जिंदगी में परमानेंट बहार छा जाती है। स्कूल कालेज से सत्संग की तुलना करते हुए संत जी ने आगे कहा कि जिस तरह किताबों में ज्ञान भरा होता है लेकिन उसे समझने के लिए स्कूल कालेज जाने की, और टीचर की जरूरत पड़ती है। रूहानियत में सत्संग भी एक स्कूल कालेज ही होता है। सत्संग सुनके जो अमल किया करते हैं वो मालिक की कृपा दृष्टि के काबिल बन जाते हैं। गुरु जी ने आगे कहा कि जीवन में खुशियाँ चाहते हो तो सत्संग सुनो और अमल करो, सत्संग सुनना अच्छा है क्यों कि सत्संग का फल आत्मा को मिलेगा ही मिलेगा, फल आत्मा के खाते में जमा होगा ही होगा लेकिन अगर सत्संग सुनकर माना भी जाये तकदीर बदल सकती है। गुरु जी ने कहा कि निरंतर भक्ति करो और फल की चिंता न करो क्योंकि इंसान किसी से कोई काम करवाता है तो उसे तनख्वाह देता है ईश्वर की भक्ति करोगे तो ऐसा हो ही नहीं सकता की वो आपको रहमो करम से मालामाल न करे। सुमिरन भक्ति इबादत में रुकावट पैदा करने वाले मन के बारे में संत जी ने फरमाया कि मन से कहो कि मेरे ढीढ मन मान जा। मन पे लानत डालो। आप मन पे लानत नहीं डालते इसलिए आपको मन सुमिरन करने नहीं देता। इसलिए मन की न सुनो और भक्ति इबादत करो तभी आप मालिक की कृपा दृष्टि के काबिल बन पाएंगे। सत्संग के बाद नाम-गुरुमंत्र मेथड आफ मैडिटेशन लेने आये जीवों को गुरु जी ने नाम की अनमोल दात प्रदान की। नामदान के बाद जाम-इ-इन्सा रूहानी जाम का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जाम पीने के लिए देश विदेश से हजारों की तादाद में साध संगत यहाँ पहुंची। सभी ने बुराइयां छोडऩे और राम नाम से जुडऩे की प्रतिज्ञा लेकर पूरी श्रद्धा के साथ जाम पिया।

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