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मानव अंगों का अवैध कारोबार, कहाँ होंगे गुमशुदा बच्चे

वंश जैन(जयपुर) रेलवे स्टेशनों, सार्वजनिक पेशाबघरों, अस्पतालों और ऐसे ही तमाम जगहों पर आपने भी ऐसे गुमशुदा बच्चों और महिलाओं के पोस्टर देखे होगें जिनमें अनुरोध किया होता हैं कि इस उम्र- कद,रंग और नैन- नक्ष वाला बच्चा या औरत किसी को दिखे, तो यहां सम्पर्क करें, उसे उचित इनाम दिया जायेगा! अखबारों के पन्नों में भी हर दिन ऐसे गुमशुद्धा लोगों की तस्वीरें छपती है! पुलिस की तरफ से भी ईश्तहार ऐ- शोरे गोगा वाले पोस्टर सार्वजनिक जगहों पर खूब देखे जाते हैं उनमें भी इसी किस्म के अनुरोध किये गये होते हैं और सम्पर्क के लिये पुलिस थानों के फोन नम्बर दिये जाते हैं, लकिन इस तमाम अनुरोधों के बावजूद हिन्दुस्तान में हर साल गायब होने वाले ४५ हजार बच्चों और २५ हजार महिलाओं में २५ प्रतिशत बच्चे और २० प्रतिशत महिलाएं कभी घर नही लौटती! एक बार गायब होने के बाद ये अपने परिजनों से कभी नहीं मिल पाते! सवाल उठता हैं, आखिर ये कहां चले जाते हैं? ऐसा नहीं हैं कि पुरुष नहीं गायब होते मगर आश्चर्यजनक ढंग से जवान और अधेंड़ पुरुषों के गायब होने का प्रतिशत बच्चों और औरतों से बहुत कम है! आमतौर पर ९७ प्रतिशत घर वापिस लौट आते हैं या इनका पता चल जाता है! डेढ से दो प्रतिशत के बारे में पता चलता है कि या तो उनका कत्ल हो गया या फिर वे किसी हादसे का शिकार हो गये, लकिन इसके विपरीत बच्चों और महिलाओं का बडा प्रतिशत गायब होने के बाद कभी घर नहीं लौटता! सवाल उठता है कि आखिर इतनी बडी तादाद में बच्चे और महिलाओं का बडा प्रतिशत कभी वापिस लौटकर क्यों नहीं आता? इन तमाम सवालों के जवाब बहुत खौफनाक हैं! बच्चों व औरतों का गायब होना मानवाधिकार की एक बडी समस्या है! राष्ट्र संघ की सिफारिश पर अमरीका जैसे देशों में वुमैन एंड चाईल्ड टेकेकिंग पर विकासशील देशों पर कडी नजर रखती है! इस सबके १० लाख से ज्यादा महिलाएं और बच्चे गुमशुदाओं की सुची का हिस्सा बन जाते हैं दरअसल ये गुम नहीं होते बल्कि अगर अपराध की भाषा में कहे, तो इनकी तस्करी होती है! कभी लालच के जरिये, कभी अपहरण के जरिये तो कभी बरगलाकर! यूनिफेम और मानवाधिकार आयोग के सांझे निष्कर्ष मानते हैं कि गुम होने के बाद कभी घर न लौटने वाले ७० प्रतिशत बच्चों और महिलाओं को जबरन देह व्यापार में धकेल दिया जाता है! एक बहुत बडा माफिया इस पुरे रैकेट का संचालन कर रहा है, जिसकी राष्ट्र संघ के एक आंकलन के मुताबिक २० खरब डालर से ज्यादा अर्थव्यवस्था है! मुम्बई और बेंकाक के वेश्यालयों में ७० से ८० प्रतिशत महिलाएं या युवतियां ही देह व्यापार कर रही हैं! इन्हें कभी बहला फुसलाकर, कभी झांसे से तो कभी षडयंत् रचकर इस धंधे में धकेला जाता है, दक्षिण एशिया बच्चों और महिलाओं की इस तरह की तस्करी का विश्व स्तर पर एक बडा केन्द्र हैं! मानवाधिकार आयोग और युनिफेम के शोध निश्कर्ष इस बात की पुष्टि करते हैं कि गुमशुदा होकर कभी घर न लौटने वाले २० प्रतिशत बच्चों से महानगरों में बधुआ मजदुरी करायी जाती है! ५ प्रतिशत बच्चों से माफिया सरगना भीख मंगवाते है तथा शेष की या तो हत्या कर दी जाती है, या तो उनके शारीरिक अंगो का अवैध कारोबार कर लिया जाता है! अगर पिछ्ले ५ साल के आंकडे उठाकर देंखें, तो हर साल देश भर से ४५ हजार से ज्यादा बच्चे गायब हुए हैं! यानि पिछले ५ सालों से दो लाख बच्चे गायब हो चुके हैं और उनमें एक बडी तादाद अब इस दुनिया में नही है! उनका क्या हश्र हुआ होगा, इसकी कल्पना राजधानी दिल्ली से सटे औधोगिक शहर नोएडा में बच्चों के मिले बडी तादाद में कंकालों को देखकर की जा सकती है नोएडा के निठारी गांव के अनेक बच्चों और किशोरों के जो कंकाल मिले हैं! उनमें ज्यादातर कंकालों से खास अंग गायब है हालांकि पुलिस सिर्फ एक रटी रटाई कहानी को आगे बढा रही है कि यह एक कुंठित नरपिशाच सीरियल किलर की क्रूरता का नतीजा है जिसमें यौन अक्षम होने के कारण बच्चों की बर्बरता पूर्वक हत्या कर दी, लेकिन जिस तरह के संकेत मिले है, उससे लगता है कि यह महज हवस की कहानी भर नहीं है! विशेषज्ञों को आंशका है कि इस कहानी के पिछे खरबों रुपयों के मानव अंगो के अवैध कारोबार घिनौना सच भी छिपा हो सकता हैं! दरसअल यह इसलिए भी संभंव हैं, क्योंकि राजधानी दिल्ली से सट और तेजी से विकास कर रहे उपनगरों में पिछले कुछ सालों के दौरान जिस तरह से मेडिकल टूरिज्म बढा है, उसको देखते हुए अगर यह मामला अंगों के कारोबार का घिनौना खेल साबित हो, तो इसमें किसी आश्चर्य की गुजांइश नहीं होनी चाहिए!

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