सिटीकिंग परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। सिटीकिंग परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 098126-19292 पर संपर्क करे सकते है।

BREAKING NEWS:

पक्षी जो सिर्फ़ किताबो में हैं


दुनिया में भांति-भांति के रंग बिरंगे और खूबसूरत पक्षी हैं, लेकिन कई पक्षी ऐसे भी रहे हैं, जिन्हें हम अब केवल किताबो में ही देख सकते हैं, क्योंकि स्वार्थी मनुष्य की वजह से वे हमेशा हमेशा के लिए इस दुनिया से विलुप्त हो गए हैं प्राणीशास्त्र विलुप्त पक्षियों की श्रेणी में डोडो, माओ, रॉक जैसे पक्षियों को शामिल करते हैं इन पक्षियों के विषय में वैज्ञानिकों द्वारा दी गई जानकारियों का ब्यौरा बड़ा ही रोचक हैं

डोडो मारीशस में पाई जाने वाली एक भोली भाली और भारी भरकम चिडिया थी सन 1507 में जब पुर्तगाली इस द्वीप पर पहुंचे, तो इसका नाम डोडो रखा वास्तव में डोडो एक पुर्तगाली शब्द हैं, जिसका अर्थ होता हैं मूर्ख अपने नाम के अनुरूप डोडो व्यवहार करती थी वह शत्रुओ से से अपना बचाव नहीं कर पाती थी मूर्ख और सवभाव से आलसी इस पक्षी का पुर्तगाली आसानी से शिकार कर लेते थे इसलिए पुर्तगाली के मनपसंद व्यजनों में डोडो का मॉस मुख्य था

डोडो एक बड़े मुर्गे के आकार का पक्षी था, जिसका एक नहीं कई दुम होती थी रंग बिरंगे डोडो जब झुंड बनाकर लुढ़कते गिरते चलते थे, तो लोग उन्हें देखकर खूब हँसते थे कुछ प्राणीशास्त्रियो का मानना हैं कि पहले डोडो पक्षी भी उड़ना जानते रहे होंगे किंतु कुछ परिस्थितिजन्य कारणों से शायद वे उड़ना भूल गए हैं उनका आलसी स्वभाव और उस शक्ति का अभाव ही उनके विनाश का कारण बन गया, क्योंकि इन कारणों से वे आसानी से कुत्ते बिल्लियों के हाथ लग जाते थे इस तरह 1640 तक डोडो पूरी तरह से विलुप्त हो गए 1638 को इसे आखरी बार लन्दन में देखा गया, इसके बाद जीता जागता पक्षी इतिहास बन गया

विलुप्त होने वाले दूसरे पक्षियों में माओ भी एक हैं माओ पक्षी पहले न्यूजीलैंड की हरी भरी धरती पर बसते थे सोलहवी शताब्दी में जब मनुष्य के कदम इस धरती पर पड़े तो इन पक्षियों पर आफत आ पडी माओ कुछ कुछ मौजूद शतुरमुर्ग और एमु से मिलते जुलते थे माओ अपने विशाल आकार के कारण अपनी मजबूत टांगो के बल पर काफ़ी तेज़ गति से भाग सकते हैं पक्षियों में आपसी भाईचारे की भावना भी थी

तीसरी विलुप्त प्रजाति मेडागास्कर का रॉक पक्षी था, जिसकी उचाई १२ फीट तक होती थी यह पक्षी मेडागास्कर द्वीप के पक्षीराज कहलाते थे रॉक पक्षी को मेडागास्कर वासी इसे हाथी पक्षी भी कहते थे सुप्रसिद्ध मार्को पोलो ने इस पक्षी को मनुष्य के दुगने कद का बताया हैं मेडागास्कर की लोककथाओं में इस पक्षी का काफी वर्णन किया गया हैं कथाओ के अनुसार यह पक्षी पहले उड़ते थे यहाँ के निवासी इन्हे शैतान की आत्मा मानते थे और इनकी पूजा करते थे लेकिन मार्को पोलो के अनुसार यह पक्षी उड़ने में असमर्थ थे माना जाता हैं कि इस पक्षी का अंडा एक फीट तक लंबा होता था और उसमे दो गैलन तक पानी आ सकता था, यह प्रकति की अदभूत रचना थी

माओ, डोडो तथा रॉक तीनो पक्षी मनुष्य के क्रूर अत्याचारों की वजय से इस पृथ्वी से विलुप्त हो गए इन तीनो पक्षियों का आकार प्रकार के कारण प्रकृति में मुख्य स्थान हैं हलाँकि पक्षियों को कई और भी प्रजातिया विलुप्त हो गई हैं और कई ख़त्म होने की कगार पर हैं दुनिया में भाँती-भाँती के रंग बिरंगे और खूबसूरत पक्षी हैं, लेकिन कई पक्षी ऐसे भी रहे हैं, जिन्हें हम अब केवल किताबो में ही देख सकते हैं क्योंकि स्वार्थी मनुष्य की वजह से वे हमेशा के लिए इस दुनिया से विलुप्त हो गए हैं प्रानीशास्त्री के विषय में वैज्ञानिकों द्वारा दी गई जानकारी का ब्यौरा बड़ा ही रोचक हैं (मनमोहित ग्रोवर)

Post a Comment