हम भी शाहजाह से कम नहीं
मनमोहित ग्रोवर (मुरादाबाद) उतरप्रदेश के आगरा शहर में युमना नदी पर बसे ताजमहल को कौन नहीं जानता, परंतु बहुत कम लोग यह मानते हैं कि एक ताजमहल ऐसा भी है- जिसे तख्त व ताज सम्राट शाहजाह ने नहीं, बल्कि दिल के शाहजाहां छिन्दाखान ने बनाया है मुरादाबाद के कुंदरकी कस्बे में एक कृषक के इकलौते वारिस छिन्दाखान पर आगरा के ताजमहल को देखकर ऐसा जनून सवार हुआ कि उसने अनेक कठिनाईयों से जुझ कर अपनी प्रथम बेगम की स्मृति में अपने घर को ही ताजमहल का रुप दे दिया लगभग ३०० वर्षों से सीना तान कर प्यार का ढोल सुनाने वाले आगरा के ताजमहल के विपरीत छिन्दाखान का ताज सिर्फ ३६ वर्ष पुराना है- पर इसकी बुनियाद भी प्यार पर टिकी हुई है- जो कि शाहजाह मुमताज के प्यार से कम नहीं है मात्र ३० वर्ष की आयु में बेगम फातिमा के निधन उपरान्त छिन्दाखान को दुनिया बेकार लगने लगी और स्थिति पागलों जैसी हो गयी छिन्दाखान की यह स्थिति को देखकर परिवारजनों ने बच्चों की दुहाई देकर छिन्दाखान का दुसरा विवाह कर दिया प्रैसवार्ता को मिली जानकारी अनुसार दुसरे विवाह उपरान्त छिन्दाखान को आगरा तक जाने का अवसर मिला और वहा ताजमहल देखने पर उसके मन में एक तुफान सा उठा इस तुफान ने छिन्दाखान को यह निर्णय लेने पर मजबुर कर दिया कि वह अपनी पहली पत्नी की याद में ताजमहल बनायेगाछिन्दाखान मुरादाबाद के दक्षिण की ओर करीब २० कि०मी० की दूरी कस्बे कुंदरकी में आकर बस गया, जहां उसके एक मकान व कुछ दुकाने बनाकर अपना करोबार चला लिया छिन्दाखान १९७१ में बदायु जिला के कुछ कुशल करीगरों से बातचीत करके उन्हे आगरा ले गया- जहां इन कारीगरों ने ताजमहल को गौर से देखा और जानकारी प्राप्त की आगरा से वापिस आकर इन कारीगरों ने छिन्दाखान के घर की तीसरी मन्जिल पर दो महीने के परिश्रम उपरांत बढ़िया निर्माण साम्रगी का प्रयोग करके ताजमहल की रैपलिका तैयार कर दी आने जाने वाले लोग इस ताजमहल को निहारते हुए गुजरते हैं और लोगों में यह ताजमहल एक विशेष पहचान बना रहा है