'विदेश:'एनआरआई दुल्हनों की व्यथा कथा
प्रख्यात निर्देशक दीपा मेहता की फिल्मो का विषय कुछ हट कर होता हैं फ़िल्म 'विदेश' में भी ऐसा ही देखने को मिला एनआरआई में भी ऐसा होता हैं एनआरआई दुल्हे के साथ भारतीय लड़किया बड़े-बड़े सपने लेकर परदेस जाती हैं लेकिन जब वहा उन्हें ससुराल की प्रताढना और पति के जुल्म सहने पड़ते हैं तो वहां उसकी सुनने के लिए कोई नहीं होता अपनी कसक को दिल में वह जुल्मो को सहते हुए जीना सीख लेती हैं भारतीय महिलाओ की इस सहन शक्ति पर केंद्रित हैं फिल्मी 'विदेश' चाँद (प्रीटीजिंटा) पंजाब के लुधियाना शहर में रहती हैं उसकी शादी कनाडा में रहने वाले रोकी(वंश भारद्वाज) से कर दी जाती हैं धूमधाम से शादी करने के बाद जब चाँद कनाडा पहुँचती हैं तो उसके मन में कई सपने थे लेकिन उसके अगले ही दिन उसका असलियत से तब सामना होता हैं जब उसे अपने पति का जुल्म सहना पड़ता हैं राकी अपनी माँ के कहने पर चाँद पर बहुत जुल्म ढाता हैं चाँद से जबरन नौकरी भी करवाई जाती हैं ताकि घर की आमदनी भी बढ सके इस घर में बहु का काम आमदनी बढ़ाना और पति का बिस्तर पर साथ देना ही माना जाता है फ़िल्म में नागराज की फतांसी भी हैं जो कि आधुनिक अग्निपरीक्षा जैसी प्रतीत होती हैं जुल्म सहने वाली महिला के रूप में प्रीटीजिंटा ने जान ढाल दी हैं