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दर्द का रिश्ता निभाने वाली कलाकार -मीना कुमारी

हिन्दी सिनेमा की एक बहुत सुलझी हुई अदाकार मीना कुमारी का जन्म 1935 में मास्टर अली बक्ष के घर हुआ बक्ष भी अदा करने के रसिया थे, परन्तु उन्हें फिल्मी जगत में असफलता का सामना करना पड़ा, जिनसे उनका दिल टूट गया और परिवार गहरे आर्थिक संकट में फस गया परिस्थितिया ऐसी हो गई कि उन्हें अपनी साढ़े तीन वर्षीय बेटी मजहबी उफ़ मीना कुमारी को लेकर फिल्मो में काम ढूढने के लिए एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो तक चक्कर काटने पड़े बक्ष की भाग दौड़ रंग लाई और मीना को निर्देशक विजय भट्ट की फ़िल्म ''लैदर फैस'' में बाल कलाकार के रूप में काम करने का अवसर मिल गया इन फ़िल्म में मीना के अभिनय की भरपूर प्रंशसा हुए और धीरे धीरे उसे उच्च फिल्मो में काम करने का निमंत्रण मिलना शुरू हो गया चार से दस वर्ष की आयु आते-आते मीना ने बाल कलाकार के रूप में 8 फिल्मो में काम किया, जिसमे बहिन, कसुती और प्रतिज्ञा आदि प्रमुख हैं मीना को फ़िल्म जगत में लागातार काम मिलता रहा-जिससे परिवार की आर्थिक दशा में सुधार होता गया बतौर सह नायिका भगरुर,सनम,पीया घर आ गया और बिछडे बालक फिल्म कौन उपरांत 15 वर्ष की आयु में मीना की पहली फ़िल्म बतौर नायिका रिलीज़ हुई, जिसका नाम था, श्री गणेश महिला(1950) इसके बाद तो उसने ''फ़ुटपाथ'', ''आरती'', ''दिल एक मन्दिर'', साहिब-बीबी और गुलाम, बैजू बावरा, चिराग कहां, रोशनी कहां, शारदा, फूल और पत्थर जैसी फिल्मो की झडी लगा दी 1951 में एक सड़क हादसे में मीना बुरी तरह से घायल हो गई और उसे पाँच मॉस तक अस्पताल में रहना पड़ा इस दौरान फ़िल्म निर्देशक जनाब कमाल अमरोही ने उसकी देखभाल की, परिणाम स्वरुप दोनों में मुहब्बत गई और 4 फरवरी 1952 को दोनों विवाह सूत्र में बंध गए इसके उपरांत मीना कुमारी ने और ज्यादा परिश्रम किया और ''बंदिश'', परिणीता,जहारा ,कोहिनूर, नौ लक्खा हार, किनारे-किनारे जैसी फिल्मे हिन्दी सिनेमा जगत को दी फिल्मो में मीना निरंतर सफल होती गई, परन्तु विवाहित जीवन में असफलता निरंतर पीछा करती गई स्थिती ऐसी बन गई कि पति-पत्नी के अलग होने की नौबत आ गई और 5 मार्च 1964 को दोनों अलग हो गए ज़िन्दगी के गमो को भुलाने के लिए मीना ने शराब पीनी शुरू कर दी इसके बीच उसकी मित्तरता गुलजार, धमेन्द्र व सादन कुमार से हुई, मगर सच्चा प्यार किसी से नहीं मिला सच्चा हमदर्द व सच्चा साथी तालाश कर रही मीना कुमारी ने 31 मार्च 1972 को मौत के गले लगा लिया कठिनाओ से ज़िन्दगी शुरू करने वाली और कठिनाओ से ही ज़िन्दगी समाप्त वाली थी, महान कलाकार मीना कुमारी, जो आज भी अपने पास प्रशंसको के बीच स्थान बनाए हुए हैं ''परमजीत सिंह(प्रेसवार्ता)''

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