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राजनीतिक दलों ने खोली घोषणाओं तथा वायदों की पिटारी

चंडीगढ(प्रैसवार्ता) मंगलवार को होने जा रहे हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर प्रशासन ने, जहां सभी आवश्यक प्रबंध कर लिये है, वहीं प्रत्याशियों ने मतदाताओं से संपर्क कर घोषणाओं और वायदों की पिटारी को खोल दिया है। मतदाता किस राजनीतिक दल या प्रत्याशी की घोषणा और वायदे पर विश्वास करती है, इसका पता तो चुनावी उपरांत ही सामने आयेगा, परन्तु राज्य की वर्तमान राजनीतिक तस्वीर मौजूदा कांग्रेसी शासन की आशाओं पर खरा उतरते दिखाई नहीं देती। कांग्रेस का भीतरी कलह, मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा तथा उनके सांसद पुत्र दीपेन्द्र हुड्डा को कांग्रेसी चुनाव का स्टार प्रचार बनना भी हरियाणावासियों को पसंद नहीं आया और शायद यही कारण रहा होगा कि सोनिया गांधी, डा. मनमोहन सिंह के अक्तिरिक्त भुपेन्द्र हुड्डा व दीपेन्द्र हुड्डा की जनसभाओं तथा रोड़ शो में भीड़ की उपस्थिति बहुत कम आंकी गई। कांग्रेस टिकट प्राप्ति के इच्छुकों की लंबी कतार, टिकट वितरण में विलंब और असंतोष के चलते ही यह क्यास लगाया जाने लगा था कि कांग्रेस के बागी उमीदवार तथा टिकट प्राप्ति से वंचित कांग्रेस का चुनावी गणित में गडबडी कर सकते है। बागी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड रहे या फि र कांग्रेस प्रत्याशियों से दूरी बनाने वाले कांग्रेसी दिग्गजों को मनाने में हुड्डा पूर्णयता विफ ल रहे है, जिसका खमियाजा कांग्रेस को भुगतना पड सकता है। ऐसे भी संकेत मिले है कि कुछ बागी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का अंदरूनी तौर पर समर्थन है, जिन्होने उन्हे टिकट दिलवाने की भरसक कोशिश की, मगर सफ लता नहीं मिल पाई थी।
विपक्ष दलों में इनैलों, हजकां, भाजपा, बसपा, इत्यादि सहित निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए चुनावी ताल ढोक रहे है। इनैलो का सबसे पहला प्रत्याशी और घोषणा पत्र जारी करना सबसे बेहतर लाभदायक सिद्ध हो रहा है, क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी रूढों को मनाने में व्यस्त है, वहीं इनैलो प्रत्याशियों ने अपनी सोच में बदलाव लाने की भरपूर कोशिश कर ली है, जिनसे उनका लाभांवित होना स्वभाविक है। मतदाताओं का लोकसभा चुनाव उपरांत बदलता रूझान कांग्रेस का राजनीतिक समीकरण गडबडा सकता है। इनैलो, हजकां इत्यादि की जनसभाओं में उमडती भारी भीड प्रदेश में राजनीति बदलाव का इशारा करती है।

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