भारत की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट
नईदिल्ली(प्रैसवार्ता)भारत की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट का गठन 28 जनवरी 1950 को हुआ था और उस समय अदालत संसद भवन के कोर्ट रूम में काम करने लग गई थी। सुप्रीम कोर्ट के गठन समय मुख्य न्यायाधीश सहित आठ न्यायाधीश थे। जस्टिस हरी लाल जयकिशन कानिया को सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। 6 नवंबर 1951 को जस्टिस कानिया की मृत्यु हो गई, तो उनके स्थान पर वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस एम। पंतजलि शास्त्री की नियुक्ति हुई, 1958 में अपना भवन बन
जाने पर सुप्रीम कोर्ट अपने भवन में तबदील हो गई। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के 26 जस्टिस है। सुप्रीम कोर्ट के अधिकांश क्षेत्र में विभिन्न है और यही कारण है कि भारत वर्ष की सुप्रीम कोर्ट विश्व की प्रभावशाली अदालतों में पहचान रखती है। सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के किसी भी निर्णय की अपील सुनने के अतिरिक्त फैसला तबदील या रद्द कर सकती है। विधानसभा, लोकसभा या राज्यसभा द्वारा लिये गये निर्णय पर रोक या परिर्वतन कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट में अदालतों द्वारा दिवानी, फौजदारी व अन्य विभिन्न मुकद्दमों में दिए गये निर्णय के विरूद्ध अपील दायर हो सकती है। प्रदेशों में जब कोई विवाद छिड़ जाये और केन्द्र सरकार कोई निर्णय ले सके, तो केन्द्र सरकार राष्ट्रपति के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से सलाह या निर्देश ले सकती है। पिछले कई वर्षों में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने गरीब, कमजोर, बेसहारा, पीडि़तों को विपक्ष व निशुुल्क न्याय देने के लिए जनहित याचिका दायर करने की मंजूरी भी दी है। जिसके अन्र्तगत कोई भी व्यक्ति, संस्था, वकील, समाज सेवी इत्यादि याचिका दायर कर सकता है-जबकि दूर-दराज का व्यक्ति याचिका डाक द्वारा दे सकता है। मानवाधिकार, कैदी व यातायात के अतिरिक्त जनहित संबंधी कई याचिकाओं पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कई प्रभावी ऐतिहासिक निर्णय दिये हैं। सुप्रीम कोर्ट के किसी भी निर्णय के विरूद्ध भी अपील सुप्रीम कोर्ट में की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में एक ही निर्णय को राष्ट्रपति बदल सकते हैं और वह फांसी वाले कैदी का।
जाने पर सुप्रीम कोर्ट अपने भवन में तबदील हो गई। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के 26 जस्टिस है। सुप्रीम कोर्ट के अधिकांश क्षेत्र में विभिन्न है और यही कारण है कि भारत वर्ष की सुप्रीम कोर्ट विश्व की प्रभावशाली अदालतों में पहचान रखती है। सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के किसी भी निर्णय की अपील सुनने के अतिरिक्त फैसला तबदील या रद्द कर सकती है। विधानसभा, लोकसभा या राज्यसभा द्वारा लिये गये निर्णय पर रोक या परिर्वतन कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट में अदालतों द्वारा दिवानी, फौजदारी व अन्य विभिन्न मुकद्दमों में दिए गये निर्णय के विरूद्ध अपील दायर हो सकती है। प्रदेशों में जब कोई विवाद छिड़ जाये और केन्द्र सरकार कोई निर्णय ले सके, तो केन्द्र सरकार राष्ट्रपति के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से सलाह या निर्देश ले सकती है। पिछले कई वर्षों में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने गरीब, कमजोर, बेसहारा, पीडि़तों को विपक्ष व निशुुल्क न्याय देने के लिए जनहित याचिका दायर करने की मंजूरी भी दी है। जिसके अन्र्तगत कोई भी व्यक्ति, संस्था, वकील, समाज सेवी इत्यादि याचिका दायर कर सकता है-जबकि दूर-दराज का व्यक्ति याचिका डाक द्वारा दे सकता है। मानवाधिकार, कैदी व यातायात के अतिरिक्त जनहित संबंधी कई याचिकाओं पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कई प्रभावी ऐतिहासिक निर्णय दिये हैं। सुप्रीम कोर्ट के किसी भी निर्णय के विरूद्ध भी अपील सुप्रीम कोर्ट में की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में एक ही निर्णय को राष्ट्रपति बदल सकते हैं और वह फांसी वाले कैदी का।

