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इनेलो ने कुछ मुद्दों पर दी मुख्यमंत्री हुड्डा को खुली बहस की चुनौती

चंडीगढ़(विज्ञप्ति) इनेलो ने बढ़ती महंगाई, सरकारी भ्रष्टाचार, विधायकों की खरोदोफरोख्त और प्रदेश से जुड़े सभी ज्वलंत मुद्दों पर मुख्यमन्त्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को खुली बहस की चुनौती दी है। इनेलो के प्रधान महासचिव व डबवाली के नवनिर्वाचित विधायक चौधरी अजय सिंह चौटाला ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमन्त्री से तुरन्त खुली बहस के लिए समय व स्थान निश्चित किए जाने की मांग की है ताकि प्रदेश से जुड़े सभी मुद्दों पर सही तस्वीर जनता के सामने रखी जा सके। इस अवसर पर पार्टी के राष्ट्रीय सचिव आरएस चौधरी, पार्टी के वरिष्ठ नेता बीडी ढालिया, यमुनानगर के विधायक दिलबाग सिंह, घरौंडा के विधायक नरेंद्र सांगवान व पूर्व विधायक बलवन्त सिंह सढ़ौरा भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि खुली बहस में प्रदेश में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति, बिजली-पानी संकट, रिलायंस को एसईजेड के नाम पर जमीन देने में किया गया एक लाख करोड़ का घोटाला, सरकारी भ्रष्टाचार, नौकरियों की नीलामी, भूमि अधिग्रहण व रिलीज करने के मामले में भूमाफिया को अरबों खरबों रुपए का फायदा पहुंचाने, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद कांग्रेस सरकार द्वारा पिछले पौने पांच सालों से एसवाईएल का निर्माण कार्य न करवाने, किसानों की दुर्दशा और जरूरी चीजों के दामों में अभूतपूर्व वृद्धि, बढ़ती महंगाई से लोगों का जीना दूभर होने और मुख्यमन्त्री की झूठी घोषणाओं सहित प्रदेश से जुड़े सभी ज्वलंत मुद्दे खुली बहस का हिस्सा होंगे। उन्होंने कहा कि वे पहले भी मुख्यमन्त्री को खुली बहस की तीन बार चुनौती दे चुके हैं लेकिन आज तक कभी भी मुख्यमन्त्री ने खुली बहस के लिए समय व स्थान निर्धारित करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इनेलो नेता ने कहा कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव की खुशफहमी में छह महीने पहले विधानसभा चुनाव करवाए थे और 75 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा किया था। प्रदेश की जनता ने कांग्रेस के खिलाफ जनादेश दिया और कांग्रेस के सिर्फ 40 उम्मीदवार विजयी हुए जबकि कांग्रेस के खिलाफ विपक्ष के 50 उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सारी नैतिक व लोकतान्त्रिक मर्यादाओं का हनन करते हुए न सिर्फ दलबदल के सहारे सत्ता पर काबिज होने का प्रयास किया है बल्कि विधायकों की खरीदोफरोख्त करके प्रदेश का नाम भी कलंकित कर दिया है। पहले सातों निर्दलीय विधायकों को मन्त्री व मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया और फिर हजकां के पांच विधायकों को दलबदल करवाकर उन्हें कांग्रेस में शामिल करके दलबदल कानून की धज्जियां उड़ाई गई। उन्होंने कहा कि हजकां के चार विधायकों को पहले दिन और पांचवें विधायक को दूसरे दिन कांग्रेस में शामिल किया गया जिसका कानून व संविधान में कहीं कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक तरफ तो नैतिक मूल्यों की दुहाई देती है और दूसरी तरफ सारे नैतिक व लोकतान्त्रिक मूल्यों को पैरों तले रौंदा जा रहा है। हुड्डा सरकार ने नौ मुख्य संसदीय सचिव बनाए हैं और इन मुख्य संसदीय सचिवों को मन्त्री स्तर की सुविधाएं दी गई हैं ताकि दलबदल के सहारे बनाई गई कांग्रेस सरकार को बचाया जा सके। यह पूरी तरह से कानून व संविधान का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि हजकां के जिन पांचों विधायकों को कांग्रेस में शामिल किया गया है उन्हें भी मोटी रकम व केबिनेट मन्त्री बनाने का प्रलोभन दिया गया। अब मन्त्री बनाने के मामले में टालमटोल किया जा रहा है ताकि कांग्रेस में होने वाले विस्फोट को कुछ समय तक रोका जा सके। इनेलो के प्रधान महासचिव ने कहा कि मुख्यमन्त्री व उनके मन्त्रियों और विधायकों की एकमात्र सोच प्रदेश को दोनों हाथों से लूटने की रही है। उन्होंने कहा कि आज महंगाई आसमान छू रही है। आटा, चीनी, दाल व जरूरत की हर चीज के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है और लोगों को राहत देने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे। सरकार को चाहिए कि एक तरफ जहां महंगाई पर रोक लगाए वहीं गरीब आदमी को खाने के लिए चीजें सब्सिडी देकर सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाई जाए। उन्होंने कहा कि आज किसान की भी भारी दुर्दशा हो रही है। किसान की गेहूं के दाम तो 20 रुपऐ प्रति क्विंटल बढ़ाए जाते हैं और खाने वाले गरीब आदमी को आज आटा 22 रुपए किलो मिल रहा है। इसी तरह गन्ने के दाम में मामूली बढ़ौतरी की जा रही है जबकि चीनी के दाम 42 रुपए किलो पर पहुंच गए हैं। सरकार किसान के लिए दाल के दाम 30 रुपए किलो निर्धारित करती है और खाने वाले आदमी को 90 रुपए प्रति किलो दाल मिलती है। यह सारी लूट कांग्रेसी नेता व मन्त्री खुलेआम करवा रहे हैं। किसान व गरीब आदमी की सुध लेने के लिए किसी कांग्रेसी नेता, मन्त्री या मुख्यमन्त्री के पास समय नहीं है। इनेलो नेता ने कहा कि आज हुड्डा सरकार किसानों को गन्ने के सबसे ज्यादा दाम देने की दुहाई दे रही है लेकिन चीनी के दामों में हुई बढ़ौतरी के मुकाबले गन्ने के दामों में की गई बढ़ौतरी कुछ भी नहीं है। किसानों को गन्ने का पूरा भाव नहीं मिल रहा इसीलिए हरियाणा में गन्ने की बिजाई मात्र एक तिहाई रह गई है जिससे सरकार के दावों की पोल खुल जाती है। धान उत्पादक किसानों की हालत और भी ज्यादा खराब है। कई-कई दिनों तक धान की खरीद नहीं होती और होती है तो उसे मण्डियों से उठाया नहीं जाता। अजय सिंह चौटाला ने कहा कि आज दिल्ली में केन्द्रीय जल संसाधन मन्त्री पवन बंसल के यहां हरियाणा, पंजाब व राजस्थान के बीच जल बंटवारे को लेकर विवाद निपटाने के लिए मीटिंग हो रही है। ये जल बंटवारे के सारे विवाद कांग्रेस द्वारा खड़े किए गए हैं और कांग्रेस इन विवादों का निपटारा करना ही नहीं चाहती। उन्होंने कहा कि एसवाईएल हरियाणा की जीवनरेखा है। एसवाईएल के जरिए हरियाणा को उसके हिस्से का पूरा पानी मिल सकता है जो आज व्यर्थ में बहकर पाकिस्तान जा रहा है। चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के प्रयासों से एसवाईएल के अधूरे निर्माण को पूरा करवाने संबंधी सर्वोच्च न्यायालय का फैसला हरियाणा के पक्ष में आ चुका है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले अनुसार एसवाईएल के अधूरे निर्माण को केन्द्र सरकार ने अपनी किसी एजेंसी के माध्यम से पूरा करवाना है। आज सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर किसी अदालत का कोई स्थगन आदेश नहीं है। यानी अदालती आदेश लागू करने में कहीं कोई अड़चन नहीं है। लेकिन हुड्डा सरकार ने पिछले साढे चार सालों के दौरान एसवाईएल को पूरा करवाने के लिए न तो कोई प्रयास किया और प्रधानमन्त्री और सोनिया गांधी जितनी बार भी हरियाणा में आई हरियाणा के किसी मन्त्री, सासंद, विधायक अथवा कांग्रेसी मुख्यमन्त्री ने एसवाईएल को पूरा करवाने की बात सोनिया गांधी या मनमोहन सिंह के सामने नहीं रखी जिससे साफ होता है कि इनकी नीयत में शुरू से ही खोट था और आज भी खोट है। उन्होंने कहा कि आज केन्द्र व हरियाणा दोनों जगह कांग्रेस की सरकारें हैं ऐसे में मुख्यमन्त्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व सिंचाई मन्त्री कैप्टन अजय सिह को चाहिए कि वे कांग्रेस आलाकमान पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए हरियाणा की जीवन रेखा एसवाईएल के अधूरे निर्माण को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले अनुसार पूरा करवाएं। कांग्रेस इस मामले पर हमेशा राजनीतिक रोटियां सेंकती रही है। पंजाब के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमन्त्री कैप्टन अमरेंदर सिंह ने गैर कानूनी तरीके से पंजाब विधानसभा से नदी जल समझौते रद्द करने वाला विधेयक पारित करवा दिया। उसके खिलाफ कोई भी हरियाणा का कांग्रेसी नेता आज तक नहीं बोला और उसी की आड़ में एसवाईएल के मुद्दे को ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया। उन्होंने कहा कि आज पंजाब विधानसभा द्वारा नदी जल समझौते रद्द करने सम्बन्धी विधेयक को लेकर एक रैफरेंस मात्र सर्वोच्च न्यायालय के पास गया हुआ है। उस पर सर्वोच्च न्यायालय ने सिर्फ अपनी राय देनी है। एसवाईएल के निर्माण को लेकर कहीं पर कोई स्टे नहीं है। ऐसे में कांग्रेस द्वारा एसवाईएल को पूरा न करवाना सिर्फ कांग्रेस पार्टी की हरियाणा विरोधी सोच व नीयत को ही दर्शाता है।


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