ऐलनबाद की चुनावी जंग, क्या लायेगी रंग?
ऐलनाबाद(प्रैसवार्ता) निर्दलीय विधायकों के समर्थन और हजकां में विधायक सेंध लगाकर मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भले ही अपनी सरकार की स्थिति मजबूत कर ली है, परन्तु शासन चलाना अब भी टेढ़ी खीर से कम नहीं आंका जा रहा। भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के विरोधियों को समवन्य समिति में शामिल कर कांग्रेस आलाकमान ने श्री हुड्डा पर दवाब बनाया है, वहीं ऐलनाबाद उपचुनाव रूपी एक इम्तिहान भी तैयार कर दिया है। 45 कांग्रेस विधायकों वाली हुड्डा सरकार के लिए अपनी सरकार बनाये रखने के लिए 46 विधायकों की जरूरत है, जिसे ऐलनाबाद उपचुनाव में विजयी होकर ही पूरा किया जा सकता है। ऐलनाबाद क्षेत्र से इनैलो सुप्रीमों ओम प्रकाश चौटाला ने त्याग पत्र देकर रिक्त किया है, क्योंकि श्री चौटाला ऐलनाबाद के अतिरिक्त उचाना कलां क्षेत्र से भी विजयी हुए थे। चौ. देवीलाल परिवार के गढ़ के रूप में जाने वाले ऐलनाबाद क्षेत्र में कांग्रेस को भारी-भरकम प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारना होगा। इनैलो की तरफ से खेल रतन एवं पूर्व विधायक अभय सिंह चौटाला के नाम की चर्चा काफी है-जबकि कांग्रेस की ओर से पूर्व विधायक भरत सिंह बैनीवाल, चौधरी रंजीत सिंह, अनिल खोड़ तथा निर्दलीय विधायक एवं गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा के नाम फिलहाल चर्चा में है। ऐलनाबाद एक जाट बाहुल्य क्षेत्र है-जबकि अग्रवाल, पंजाबी व अन्य वर्गों के भी मतदाता इस क्षेत्र में हैं। कांग्रेय, यदि विकास का नाम देकर चुनावी मैदान में उतरती है, तो उसे काफी क्षति हो सकती है, क्योंकि विकास ऐलनाबाद क्षेत्र से कोसों दूर है। कांग्रेस राष्ट्रीय तथा प्रांतीय स्तर पर शासन का लाभ जरूर उठा सकती है-जबकि इनैलो को आत्मविश्वास से जूझना पड़ सकता है। इस क्षेत्र के मतदाताओं की सोच में बदलाव देखा जाने लगा है। चौ. देवीलाल परिवार का समर्थक रहा ऐलनाबाद भविष्य में होने वाले उपचुनाव में किस कद्र करवट लेगा, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा, परन्तु यह उपचुनाव पक्ष और विपक्ष के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं आंका जा सकता