भारत की अखण्डता को चुनौती
बिजनौर(सत्यवीर सिंह)महाराष्ट्र में पहले मनसे के विधायको नें महाराष्ट्र विधान सभा में राष्ट्रभाषा हिन्दी में शपथ लेने वाले सपा विधायक अवु आजमी के साथ दुव्र्यवहार किया। मनसे के सुप्रीमों राजठाकरे ने मराठी में शपथ न लेने वालो को भुगत लेने की धमकी दे रखी थी। इसी के चलते उन्होने विधानसभा को कलंकित करने के साथ-साथ राष्ट्रभाषा का अपमान किया। राष्ट्रभाषा के अपमान से विदेशों मे भारत भी का साख को बट्टा लगा है, लेकिन घिनौनी राजनीति करनें वाले राजनीतिज्ञों के कान पर जॅू तक नहीं रेंगी। महाराष्ट्र मे निर्दोष हिन्दी भाषियों पर कहर ढ़ाया गया, लेकिन खोखली बयानवाजी के अलावा कुछ न हो सका। मराठी मानुष की राजनीति करनें वाले भोले-भाले मराठियो के तथाकथित ठेकेदार भारत की संप्रभुता को तार-तार करनें वाले कार्यो को ही अपना धर्म समझातें हैं। अब शिवसेना प्रमुख बालठाकरे नें सचिन के राष्ट्रप्रेमी बयान पर बवाल मचा दिया। सचिन नें कहा था कि मुझे मराठी होने का गर्व है, लेकिन मै सबसे पहले भारतीय हू और भारत के लिए खेलता हू। मुम्बई पूरे देशवासियों की है। सचिन के इस बयान पर बालठाकरे इस कदर भड़के और सचिन के भले के लिए हिदायत दे दी। यदि सचिन ठाकरे की हिदायत नहीं मानेगें अर्थात खुद को पहले भारतीय कहेगें या मुम्बई को सारे देशवासियों की बताएगें तो मराठियों की भावनाओं को ठेस पहुचेगी और वे सचिन का नुकसान पहुचॉ सकतें है। ठाकरे की बात से तो ऐसा लगता है कि राष्ट्र का अपमान और राष्ट्रविरोधी कार्य करना ही मराठी मानुष सम्मान है तथा राष्ट्र अथवा राष्ट्रभाषा का सम्मान करना मराठी मानुष का अपमान है। मराठियों के मन में राष्ट्रद्रोह के बीज रोपकर राज-बाल ठाकरें भारत की अखण्डता को चुनौती देने का दुस्साहस कर रहें है, यें भूल रहें हैं कि महाराष्ट्र अखण्ड भारत का एक राज्य है। हम सभी पहले भारतीय है बाद में कुछ और राष्ट्र और राष्ट्रभाषा का अपमान राष्ट्रद्रोह की श्रेणी मे आता है। सच्चे देश भक्तों को ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए।