हर्निया और दुर्लभ उपलब्धियां:डॉ. कौशल किशोर श्रीवास्तव
आन्तरिक अंगों की भित्तियों की प्राकृतिक या अर्जित कमजोर स्थानों से अप्राकृतिक रुप से अपने प्राकृतिक स्थान से बाहर निकलने की प्रक्रिया को हर्निया कहते हैं। हर्निया मुख्यत: जन्मजात या अर्जित हो सकते हैं। जन्मजात हर्निया मुख्य रुप से इन्गॉयनल होते हैं जो उदर के जांघों के साथ सन्धिस्थल पर होते हैं। इन हार्निया से आंतें या ओमेन्टम पेडू में त्वचा के नीचे तक आ सकती हैं। ये हर्निया उदर की मांसपेशियों के कमजोर होने या वहां उपस्थित प्राकृतिक छेदों में से होते हैं। जो पहले से उपस्थित छेदों में से होते हैं उन्हें जन्मजात हर्निया कहते हैं। कुछ नवजात शिशुओं का मस्तिष्क मुख्य रुप से गर्दन के ऊपर या पीठ की रीढ़ की हड्डी में से बाहर निकलता है। जब मस्तिष्क बाहर निकला रहता है तो शिशु के बचने की संभावना कम ही रहती है। रीढ़ की हड्डी में से जब मात्र एक थैली बाहर निकली होती है तब उसका ऑपरेशन सरल होता है। जब सुशुम्ना भी बाहर निकली होती है तब ऑपरेशन किंचित कठिन हो जाता है। बहुत कम प्रकरणों में नाभि का वह हर्निया होता है जिसमें आंटे या यहां तक कि यकृत बाहर निकला होता है ये हर्निया जन्मजात ही होते हैं। कभी कभी चोट या शल्य क्रिया के पश्चात ये प्रकरण देखने में आते हैं। ग्रास नली या बहुत कम प्रकरणों में यकृत सीने के अन्दर चला जाता है। प्रथम श्रेणी के हर्निया ग्रासनली के हर्निया कहलाते हैं। खाना खाने के बाद सीने में जलन होने के प्रकरणों में इस तरह के हर्निया होने की जांच भी की जानी चाहिये। कभी कभी अत्यंत असामान्य प्रकरणों में जन्मजात हृदय के हर्निया या फेफड़ों के हर्निया होते हैं। ऐसे बच्चों का जीवित रहना असंभव होता है। उदर के पीछे या पेरिनियम के हर्निया भी होते हैं। ये अक्सर नहीं पाये जाते पर महिलाओं में बच्चादानी का बाहर आ जाना इन्हीं हर्निया की श्रेणी में आता है। बाहों या जांघों में मांसपेशियों का हर्निया भी हो सकता है। हर्निया में एक थैली होती है जिसमें आन्तरिक अंग रहते हैं। पहले उस थैली में से आन्तरिक अंग अपने प्राकृतिक स्थान में रखे जाते हैं। फिर थैली का मुंह बांधा जाता है। अन्त में उपस्थित रिक्त स्थान को या तो उपस्थित मांसपेशियों से बन्द कर दिया जाता है या बड़ा रिक्त स्थान होने या मांसपेशियां कमजोर होने पर सिन्थेटिक जाली लगाई जाती है। आजकल दूर्बीन से भी ऑपरेशन किया जा सकता है।मैंने लगभग हर तरह के हर्निया के आपरेशन किये हैं। इनमें मेनिंगोसील (रीढ़ की हड्डी से सुशुम्ना की झिल्लियां) शल्यक्रिया पश्चात उदर के हर्निया नाभि के उसके ऊपर के हर्निया पेडू के हर्निया इत्यादि सामान्यत: अधिक पाये जाने वाले हर्निया के ऑपरेशन अधिक किये हैं। हर्निया का इलाज मात्र ऑपरेशन ही है। जितने शीघ्र आपरेशन हो उतना अच्छा नहीं तो प्राणघातक विषमतायें हो सकती हैं। जो अत्यंत दुर्लभ उपलब्धियां हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:- एक बार मैं एक युवा के दाहिने तरफ के हर्निया का ऑपरेशन कर रहा था। जब उस हर्निया की थैली खोली तो पूरी टीम के आश्चर्यचकित होने की बारी थी। युवक में जिसमें पुरुष जननांग पूर्ण विकसित थे पूर्ण विकसित महिला जननांग भी अन्दर थे (चित्र क्र1) वह सच में आधा पुरुष एवं आधा नारी था। उसके नारी जननांग हमने निकाल दिये क्योंकि माहवारी के समय दर्द या बाद में उनके कैंसर होने की संभावना थी। एक अन्य अवसर पर एक युवक की दोनो 'टेस्टीज' एक ही तरफ थी उनसे शुक्र वाहिकायें ऊपर की ओर जाकर मिल गईं थीं जैसे महिलाओं में डिम्ब वाहिकायें गर्भाशय में मिल जाती हैं। मात्र दो अवसरों पर हार्निया की थैली में पथरी मिलीं। उनका रासायनिक परीक्षण नहीं करवाया जा सका।