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सांझी बनाओं प्रतियोगिता का आयोजन हुआ संपन्न

सिरसा(लोकसंपर्क)सूचना जनसंपर्क एवं सांस्कृतिक कार्यविभाग द्वारा कार्यालय परिसर में सांझी बनाओ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान विकास हाई स्कू की रजनी वत्स ने प्राप्त किया। कीर्ति नगर की बिमला देवी ने द्वितीय व बाल भवन की बाल सेविका सरोज बाला ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इस अवसर पर जिला सिरसा की भारतीय ग्रामीण महिला संघ की प्रधान श्रीमती किरण ख्यालिया, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती धनपति मलिक व प्राचार्य सी.एम.के कॉलेज श्रीमती अनु कथुरिया ने निर्णायक मण्डल की भूमिका अदा की। सांझी कृतियों में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहने वाली प्रतिभागियों को क्रमश 1500, 1000 व 750 रुपए के नकद इनाम दिए गए। सांझी कृतियों का अवलोकन करते हुए डा. किरण ख्यालिया ने कहा कि आज सामाजिक परिवेश में जब आधुनिकता और भौतिकवाद की चकाचौंध से हमारी समृद्घ सांस्कृतिक विरासत का अतिक्रमण हो रहा है। इस विरासत को जीवित रखने के लिए लोक कलाओं, लोक नृत्यों, लोक गीतों व लोकोक्तियों का निरन्तर समाज में प्रचलन रहना नितान्त आवश्यक है, तभी सांस्कृतिक धरोहर को बचाया जा सकता है । श्रीमती किरण ख्यालिया ने कहा कि हरियाणा की परम्परागत लोक संस्कृति में सांझी और इससे जुड़े लोकगीतों की गहरी छाप मिलती है। उन्होंने कहा कि विशेषकर ग्रामीण अंचलों में महिलाएं व बालिकाएं इसे बनाती हैं। उन्होंने बताया कि गांवों में दीवारों पर जोहड़ की सौंधी मिटटी से बनी सांझियां मुखर हो उठती है । इसी मिट्टïी से सांझी के सितारे, हाथ, पांव, मुंह तथा आभूषण इत्यादि बनाकर तथा सुखाकर उन्हें खडिय़ा मिट्टी के घोल से पुताई करके उस पर लगाकर एक स्वरूप दिया जाता है। हल्दी और फिर दीवार पर गोबर का लेप कर इन सभी चीजों को उस पर चिपका दिया जाता है । मुख्यत सांझी के साथ दाएं व बाएं दो छोटी-छोटी आकृतियां भी बनाई जाती हैं जिन्हें लोककथाओं में खोडा व धूंधा कहा गया है इनका स्वरूप कुछ कुरूपता लिए हुए बनाया जाता है ताकि वास्तविक सांझी का सौंदर्य बना रहे । जिला महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती धनपति मलिक ने कहा कि उत्तर भारत मुख्यत: हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, राजस्थान के काफी क्षेत्रों में सांझी परम्परा कायम है । इन क्षेत्रों में गांव की महिलाए गांव में सांझी कृति बनाती हैं और गांव, समाज व अपने परिवार की सुख समृद्घि की मन्नत मानते हुए तालाबों में सांझी को विसर्जित करती हैं । उन्होंने कहा कि उत्तर भारत की लोक संस्कृति अब भी गांवों में देखने को मिलती है । राज्य का सूचना जनसंपर्क एवं सांस्कृतिक कार्यविभाग इस लोक संस्कृति को जीवंत रखने के लिए विशेष प्रयास कर रहा है । उन्होंने सांझी कृति प्रतियोगिता में प्रतिभागी महिलाओं से अपील की कि वे इस प्रकार की संस्कृति को आगे बढ़ाने में रूचि लें । उन्होंने प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर आने वाली महिलाओं को बधाई दी । जिला सूचना एव जनसंपर्क अधिकारी श्री अमित पवार का कहना है कि आजकल कला का बाजारू स्वरूप हो जाने से लोककलाओं में कुछ-कुछ अन्तर जरूर आ गया है फिर भी सूचना जनसंपर्क एवं सांस्कृतिक कार्यविभाग द्वारा इस संस्कृति को जीवित रखने के लिए प्रति वर्ष प्रतियोगिताएं करवाई जाती हैं । इसी श्रृखंला में आज यहां प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

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