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मौत का कारण नहीं बताते डाक्टर

बठिण्डा(प्रैसवार्ता)प्रदेश में 99 फीसदी मामलों में डॉक्टर मौत की वजह मौके पर नहीं बताते हैं। विसरा रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का कारण बताया जाता है। विसरा नमूनों की जांच स्वास्थ्य विभाग की करनाल स्थि लैब व पुलिस की फोरेंसिक लैब में होता है। फोरेंसिक लैब के निदेशक का कहना है कि यहां विसरा नमूनों की संख्या में दो गुना हो गई है। फोरेंसिक लैब में विसरा के जो नमूने पहुंच रहे हैं, उनमें से करीब 99 फीसदी मामलों में पोस्टमार्टम करने वाला डाक्टर यह नहीं लिखता कि मौत का संभावित कारण क्या रहा? डाक्टर लिखते हैं कि विसरा रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का कारण बताया जाएगा। लैब में नमूनों की रिपोर्ट करीब नौ महीने बाद मिलती है, जिससे हत्या, आत्महत्या या अन्य प्रकार से हुई मौत के मामलों की जांच अटकी रहती है। लैब निदेशक डॉ. जेएस महनवाल का कहना है कि पिछले दो महीने से लैब में विसरा नमूनों की संख्या प्रति महीना करीब सवा दौ सौ हो गई है। पहले डेढ सौ नमूने आते थे। इसकी वजह यह है कि करनाल स्थित स्वास्थ्य विभाग की लैब ने विसरा नमूने लेने बंद कर दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग की लैब् ने उन्हें पत्र लिखकर सूचित किया था कि उनकी लैब में नमूने स्टोर करने की जगह नहीं है। लैब में विसरा के करीब 900 नमूने जांच के लिए पड़े हैं। उन्होंने इस संबंध में पुलिस महानिदेशक रंजीव दलाल को सूचित किया। डीजीपी ने स्वास्थ्य विभाग की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव को पत्र लिखकर करनाल स्थित लैब में विसरा नमूनों की जांच शुरू करवाने के लिए कहा। उधर स्वास्थ्य विभाग के करनाल स्थित लैब के इंचार्ज केमिकल एग्जामिनर डा. महला का कहना है, कि लैब में नमूने रखने के लिए जगह कम पड़ी थी, इसलिए सिर्फ तीन जिलों के नमूने लेने बंद किए हैं। शेष जिलों से नमूने आ रहे हैं और हर महीने करीब सवा दो सौ नमूनों की जांच की जा रही है। नमूने जांचने बंद नहीं किए हैं। लैब में 1998 से आए नमूने जांच के लिए लंबित पड़े हैं। करीब 900 नमूने जांच के लिए लंबित हैं। हरियाणा के महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डा. एनके शर्मा ने कहा कि करनाल स्थित लैब में नमूने स्टोर नमूने जांचने बंद नहीं किए। विभाग की लैब में तीन जिलों के नमूने लेने बंद कर देने की, उन्हें जानकारी नहीं है। चंडीगढ़ स्थित केमिकल एग्जामिनर के पास भी नमूने भेजे जा सकते हैं। महानिदेशक ने कहा कि पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों को मौत का कारण लिखना चाहिए। जहां स्पष्ट न हो, वहीं पर विसरा की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।

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