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चाबियों के साथ ही बदल जाती हैं बीवियां

मेरठ(न्यूजप्लॅस)मेरठ का एक घर, समाज के प्रतिष्ठित लोगों की जमात, हाथों में पैग तथा पत्नी के गले में बांह और एक मेज पर रखी गाडिय़ों की चाबियां। एकाएक अंधेरा होता है और मेज से चाबियां गायब। रोशनी होते ही हाथ में पैग लिए कथित रिश्तेदारों के हाथ में नजर आती हैं चाबियां और चेहरों पर कुटिल मुस्कराहट। एक बार फिर अंधेरा और इसके बाद होने वाले प्रकाश में नजर आते हैं इन रिश्तेदारों के असली चेहरे। हाथों में पैग के साथ ही बदल जाती हैं पत्नियां। यानि जिस पुरूष के हाथ में जिसकी गाड़ी की चाबी आई उसकी पत्नी होगी चाबी उठाने वाले के रात की साथी। इसके साथ ही शुरू हो जाती है एकांत की तलाश। चौंकिए नहीं, यह हॉलीवुड फिल्म का दृश्य नहीं है, बल्कि मेरठ जैसे शहरों में भी 'वाइफ स्वॉपिग' (पत्नियों की अदला-बदली) का सिलसिला गुप-चुप चल रहा है। इस सच्चाई का खुलासा एक विवाहिता ने किया है जिसे ऐसे ही कल्ब में शामिल उसके पति ने दोस्तों के सामने शामिल किया और विरोध करने पर न सिर्फ पीटा बल्कि धक्का देकर घर से बाहर निकाल दिया गया। यह विवाहित फिलहाल पिता के साथ रह कर पति के विरोध का खमियाजा कर भुगत रही है। सदर निवासी बबीता (काल्पनिक नाम) की शादी जुलाई, 2005 में गढ़ रोड निवासी एक आयकर एडवोकेट अनिल (काल्पनिक नाम) से हुई। बकौल बबीता शादी के बाद उसने अपने पति का जो रूप देखा वह चौंकाने वाला था। पति तो ड्रग्स और शक्तिवर्धक दवाईयों का प्रयोग करता ही था, उसे भी शराब पीने को मजबूर किया जाता था। हद तो तब हो गई जब पति ने उसे अपने साथ एक कल्ब में चलने को कहा। पति के साथ बबीता जब शास्त्री नगर स्थित एक कोठी में चल रहे कल्ब में गई तो वहां का माहौल देखकर स्तब्ध रह गई। कल्ब का नाम एक धार्मिक-सामाजिक संस्था के नाम पर था। यहां कथित रिश्तेदार अपनी पत्नियों के साथ मौजूद थे। पत्नियां सहजता से शराब का सेवन कर रही थीं। ड्रग्स व सिगरेट के दौर से चल रहे थे, फिर शुरु हुआ एंजाय द गेम। चाबियों के अदला-बदली के बाद जब उसे भी नए साथी के साथ जाने को कहा गया तो उसने साथ जाने से मना कर दिया। इसके बाद शुरु हो गया उसे परेशान करने का सिलसिला। बबीता ने कहा कि शराब पीने और ब्लू फिल्म देखने से मना करने पर उसे बुरी तरह पीटा गया। कमरे में बंद रखा गया और खाना तक नहीं दिया गया। इसके बाद घर से निकाल दिया गया। बबीता ने पूरे मामले की शिकायत विभिन्न थानों पर करने की कोशिश की, लेकिन रिपोर्ट दर्ज करने तक को कोई तैयार नहीं हुआ। फिर जब शांतिवाहिनी की जिलाध्यक्ष रेखा गुप्ता और सपा नेता शैलेन्द्र अग्रवाल ने आई.जी. को पूरे मामले से अवगत करवाया और उसके बाद आई.जी. ने ही एस.एस.पी. को मामले की जांच के आदेश दिए।

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