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हरियाणवी सभ्यता की पहचान शेरवानी जूती

फतेहाबाद(प्रैसवार्ता)आधुनिकता की चकाचौंध व युवा वर्ग की एश्वर्य भरी जिंदगी के बीच शेरवानी जूती ने भी अपनी तड़क-भड़ बिखेरनी शुरू कर दी है। ग्रामीणों व हरियाणवी लोगों की पहली पसंद बनी उक्त जूती के चहेतों में न केवल पुरूष अपितु बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल हैं। शहर की विभिन्न दुकानों पर उक्त किस्म की जूती धड़ल्ले से बिक रही है। आज जहां एक ओर शहर का युवा वर्ग 500 से लेकर 1200 रुपए तक के स्पोटर्स शू व अन्य कंपनियों के जूतों को अपना रहा है, वहीं गांवों में अधिकतम लोग जूती को ही अपने पैरों की शान मान रहे हैं। जूती को हरियाणवी सभ्यता का परिचायक मानने वाले बुजुर्ग व केवल स्वयं अपितु अपने परिजनों को भी विदेशी किस्म के महंगे जूतों को छोड़कर देसी जूती पहनने को तवज्जो दे रहे हैं। आमतौर पर 150 से 200 रुपए तक बिकने वाली जूती के चहेतों में भले ही ज्यादात्तर हरियाणवी लोग हों, लेकिन उक्त जूती के चाहने वालों में युवा वर्ग भी शामिल है। शेरवानी के अलावा तीलेदार जरी वाली जूती ने भी हरियाणवी क्षेत्र में धूम मचा रखी है। दिलचस्प पहलू तो यह है कि तीलेदार जूती पहनने वालों में महिलाओं की संख्या उल्लेखनीय है और महिलाएं उक्त जूती को विवाह समारोह व अन्य कार्यक्रम में पहनना अधिक पसंद करती हैं। रोपट वाली जूती के चहेतों में भले ही बुजुर्ग शामिल हों, लेकिन उक्त जूतियों का प्रचलन इतना बढ़ता जा रहा है, कि बुजुर्गों ने कंपनी के जूतों से मोह भंग करके रोपट जूती को ही प्राथमिकता दी है। बजट के अनुसार भी किफायती दामों में मिलने वाली उक्त किस्म की जूती बुजुर्गों को अपनी ओर आकृषित कर रही है। इसके अलावा कुसा टाईप व चाईनीज जूतियां भी लोगों को दिलों में अपनी गहरी छाप छोड़े हुए हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने वाली चाईनीज जूतियों के दीवानों की भी गांवों-शहरों में कमी नहीं हैं। अन्य प्रकार की जूतियों से कम दाम में मिलने वाली उक्त जूती की चमक दमक देखकर लोग मानते हैं, कि यदि उक्त जूती को मात्र दो शादियों इत्यादि में डाल लिया जाए तो इसके दामों का हक मिल जाता है।

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