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जीना इसी का नाम है....

श्रद्धाजंलि
सिरसा(चन्द्र मोहन ग्रोवर ) संसार में प्रतिदिन हजारों लोग जन्म लेते हैं और हजारों ही अन्तिम संसारिक यात्रा पूरी करते हैं, मगर विरले ही ऐसे होते हैं, जो मरने के बाद भी जिंदा रहते हैं। ऐसे विरले महानुभावों में से एक हैं, मोहन दास बावा, जिन्होंने पिछले सप्ताह की एक शानदार जिंदगी जीने उपरांत इस नश्वर संसार को अलविदा कहा है। पंजाब राज्य के जिला मानसा के उपमंडल सरदूलगढ़ के ग्राम कौडीवाला के संत मत के मोहन दास बावा अपने भरे-भरे परिवार में लम्बा जीवन बिताकर खुद तो चले गये, मगर पीछे छोड़ गये अनेक खट्टे-मीठे अनुभव और कभी न भूलने वाली यादें। धार्मिक प्रवृत्ति के मोहन दास बावा ने अपने जीवनकाल में, जिस प्रकार से आसपास क्षेत्र के लोगों में अपनी पहचान बनाई, जो उन्हें मान-सम्मान और सहयोग दिया, उनके सुख-दुख में भागीदारी निभाई, इसका प्रमाण उनके अंतिम समय से लेकर श्रद्धाजंलि समारोह तक हजारों लोगों की उमड़ी भीड़ से मिलता है। सरदूलगढ़ क्षेत्र के लगभग सभी ग्रामों, सरदूलगढ़ शहर व आसपास के हजारों लोगों का उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करना किसी विशेष उपलब्धि से कम नहीं आकां जा जाना चाहिये। ग्राम कौडीवाडा से करीब एक किलोमीटर दूर ढाणी में अंतिम सांस लेने वाले मोहन दास बावा के परिवार में बड़े बेटे जीवन दास बावा एक जाने माने एवं प्रभावी कांग्रेसी नेता हैं, मगर स्वर्गीय मोहन दास बावा को श्रद्धाजंलि देने वाले अन्य दल, जैसे सत्तारूढ़ शिरोमणी अकाली दल, भाजपा इत्यादि के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति दर्शाती थी कि स्व. मोहन दास बावा राजनीति से कहीं दूर रहते हुए मानवता के सच्चे हितैषी व पक्षधर थे और उन्होंने अपने जीवनकाल में सभी वर्गों व धर्मों को बराबर का मान-सम्मान दिया है। में भी इस विलक्षण, विभूति, सच्चे मानवता प्रेमी के दुखद निधन पर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें और परिवार को यह विछोड़ा सहन करने की शक्ति दें। मुझे यकीन है कि हरमन प्रिय स्व. मोहन दास बावा जी के पद चिन्हों पर चलते हुए उनके परिवारजन उनकी तरह की मानवता की सेवा को अपना मुख्य लक्ष्य बनायेंगे, ताकि उनके चाहने वालों को उनकी कमी महसूस न हो।


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