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चमत्कारी होता है मक्खी का दिमाग

05 जनवरी 2010
सिडनी(आईएएनएस) एक नन्हें बीज के आकार का मधुमक्खी का मस्तिष्क विकास प्रक्रिया में चमत्कारी हो सकता है कि वह पराग कण इकट्ठा करने में खर्च होने वाली ऊर्जा का सटीक अनुमान लगा सकता है। मैकक्वेरी विश्वविद्याल के अध्ययनकर्ता एंड्रयू बैरॉन के मुताबिक मधुमक्खियां शहद बनाने के लिए फूलों से जितना रस इकट्ठा करती हैं वह इस काम में खर्च होने वाली ऊर्जा की अपेक्षा बहुत होता है। इसलिए इस काम को कुशलता से करने के लिए उनके लिए यह जानना आवश्यक होता है कि हर बार पराग कण लाने के लिए उन्हें अपनी प्रत्येक उड़ान में कितनी ऊर्जा खर्च करनी है। मक्खियां देखकर ही दूरी का अनुमान लगा लेती हैं। बैरॉन ने अपने अध्ययन में जानना चाहा था कि क्या मक्खियां अपनी इस दृश्य जानकारी का उड़ानों में खर्च होने वाली ऊर्जा का अनुमान लगाने में भी इस्तेमाल करती हैं। अध्ययन के परिणाम बताते हैं मक्खियां दूरी देखकर उड़ान में खर्च होने वाली ऊर्जा का अनुमान नहीं लगाती। बैरॉन ने कहा कि मक्खियों का दिमाग बहुत सरल रचना होती है और इसमें एक कैलोरीमीटर या स्टॉप-वाच होती है। उन्होंने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चला है कि मक्खियां उड़ान के दौरान तय की जाने वाली दूरी और फूलों का रस खोजने में खर्च होने वाली ऊर्जा की अलग-अलग गणना कर सकती हैं और अपने नृत्य के माध्यम से इसे प्रस्तुत कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी दक्षता मधु इकट्ठा करने वाली मक्खियों की प्रवीणता दिखाती है। बैरॉन जानना चाहते थे कि मक्खी का दिमाग ये जटिल गणनाएं किस तरह से करता है। उन्होंने कहा कि मक्खियों के नृत्य व्यवहार के माध्यम से मधुमक्खियों के मनोविज्ञान को समझने में मदद मिलती है।

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