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ऐक्टर बनने का चांस और डांस

17 जनवरी 2010
प्रस्तुति: चंद्र मोहन शर्मा
चांस पे डांस
कलाकार : शाहिद कपूर , जेनेलिया डिसूजा
निर्देशक : केन घोष
गीत : कुमार , अमिताभ भट्टाचार्य
संगीतकार : अदनान सामी , प्रीतम चक्रवर्ती , केन घोष
सेंसर सर्टिफिकेट : यू / ए
शाहिद कपूर के साथ ' इश्क - विश्क ' और ' फिदा ' बना चुके केन घोष ने जब इस फिल्म को स्टार्ट किया , तब उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि फिल्म बनने में इतना वक्त लगेगा। हालांकि इससे पहले इसी सब्जेक्ट पर बनी कई फिल्में रिलीज हो चुकी हैं। ग्लैमर की दुनिया में हर रोज सैकड़ों युवक सपना साकार करने पहुंचते है , इनमें से कुछ को इस शहर में अपनी प्रतिभा दिखाने का चांस तक नहीं मिलता तो कोई इस चांस को कैश नहीं कर पाता। ऐसे सब्जेक्ट पर बनी फिल्म के साथ मुश्किल यही है दर्शक को फिल्म की शुरुआत के चंद मिनट बाद ऐंड का पता लग जाता है।
कहानी: दिल्ली से मुंबई हीरो बनने का सपना संजोए आए समीर बहल ( शाहिद कपूर ) को तीन साल बाद भी फिल्मों में काम नहीं मिल पाता है। पापा ( परीक्षित साहनी ) से अपने इस सपने को तीन साल में साकार करने की मोहलत लेकर आए समीर का इस मुश्किल घड़ी में टीना ( जेनेलिया डिसूजा ) साथ देती है जो खुद कोरियोग्राफर बनना चाहती है। इस बीच डायरेक्टर राजीव शर्मा ( मोहनीश बहल ) एक क्लब में समीर का डांस देखने के बाद उसे अपनी अगली फिल्म में हीरो बनाने का वादा करता है।
तस्वीरों में: शाहिद-जेनेलिया की केमिस्ट्री
इसी फिल्म से टीना भी बतौर कोरियोग्राफर अपना करियर शुरू कर रही है। फिल्म शुरू होने से पहले समीर को पता चलता है कि डायरेक्टर राजीव ने अपनी फिल्म में एक टीवी चैनल शो के रिऐलिटी शो विनर को हीरो बनाने का फैसला किया है। दरअसल , कॉर्पोरेट कंपनी के लिए फिल्म बना रहे राजीव की मजबूरी है कि उसे ना चाहकर भी प्रॉडक्शन कंपनी की इस शर्त को मानना पड़ता है। समीर का सपना पल भर में टूट जाता है , मकान मालिक को किराया ना देने की वजह से घर से बेघर समीर अपनी रातें कार में गुजार कर अपने सपने का साकार करने की जंग में लग जाता है।
ऐक्टिंग: शाहिद और जेनेलिया के बीच गजब की केमिस्ट्री है। श्यामक डावर के ग्रुप से जुड़े रहे शाहिद ने साबित किया है कि डांस में उनका कोई जवाब नहीं। परीक्षित साहनी बेबस पिता की भूमिका में फिल्म के कुछ दृश्यों में नजर आए। स्कूल प्रिंसिपल के रोल में सतीश कौशिक जब भी आए दर्शकों को कुछ गुदगुदा गए। फिल्म डायरेक्टर और टीवी शो में जज बने मोहनीश बहल ने निराश किया।
संगीत: डांस से जुड़ी इस फिल्म का संगीत कमजोर है। आपको ताज्जुब होगा फिल्म में एक दो नहीं चार संगीतकार हैं लेकिन ऐसा कोई गाना नहीं जो हॉल से निकलने के बाद दर्शकों की जुबां पर आए।
निर्देशन: फिल्म पूरी होने में हुई देरी स्क्रीन पर साफ नजर आती है। शाहिद कपूर फिल्म की शुरुआत में जैसे नजर आते हैं वैसे आखिरी दृश्यों में नहीं दिखते। छोटी सी कहानी होने के बावजूद डायरेक्टर दर्शकों को एंड तक फिल्म से बांध नहीं पाते लेकिन ग्लैमर की दुनिया में करियर बनाने का सपना संजोए मुंबई आने वाले टीन एजर्स के लिए एक अच्छा मेसेज जरूर दिया है।
क्यों देखें: अगर ग्लैमर की चमकती दुनिया में करियर बनाने का सपना देख रहे हैं तो फिल्म देखी जा सकती है। वर्ना , कहानी में कुछ नयापन या खास नहीं कि वीक एंड पर इसे फैमिली के साथ देखा जाए।

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