रूद्राभिषेक अंतिम दिन भी रहा जारी
25 जनवरी 2010
सिरसा(सिटीकिंग) गत दिवस नगर के भादरा तालाब के पास स्थित डेरा बाबा अलखिया में शिव शक्ति यज्ञ समिति द्वारा नव वर्ष के उपलक्ष्य में भगवान शंकर की प्रसन्नता एवं विश्व कल्याण हेतु आयोजित नमक-चमक के द्वारा रूद्राभिषेक के आज अंतिम एवं इक्कीसवें दिन जारी रहा। इस अवसर विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री गंगानगर से विशेष से रूप आए गायत्री महाउपासक वैद्य रामेश्वर दत्त द्वारा सत्संग प्रवचन किया गया। वैद्य रामेश्वर दत्त ने बताया कि नमक-चमक के द्वारा रूद्राभिषेक भगवान शंकर की उपासना का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है जिसमें नमक-चमक के द्वारा पाठ किया जाता है तथा रूद्री का पाँचवां अध्याय ग्यारह बार बोला जाता है। भगवान शंकर का रूद्राभिषेक जल, दूध, सरसों के तेल, गन्ने के रस तथा घी से किया जा सकता है। उन्होंने जानकारी दी कि विभिन्न प्रकार के रूद्राभिषेक का अपना अलग-अलग महत्व है। इस अवसर पर उन्होंने सम्पूर्ण महामृत्युन्जय स्तोत्र का अर्थ बताया तथा कहा कि इस मंत्र के प्रभाव से अकाल मृत्यु, दुर्घटना तथा आकस्मिक विपत्तियों से बचा जा सकता है। आज के मुख्य यजमान के रूप में बठिण्डा के प्रमुख समाजसेवी परमदीप बांसल, लीलाधर सैनी व उनकी धर्मपत्नी राजदुलारी, पप्पू बत्तरा, मेघराज गर्ग सरदूलगढ़, संजीव लूथरा, साहिल ग्रोवर, राजू पहलवान, रामकुमार सैनी, संदीप बैनीवाल, नरेश बांसल, विनोद शर्मा, शिव शक्ति यज्ञ समिति के प्रदेशाध्यक्ष सतपाल जोशी, श्याम जोशी, सुदेश कुमार, हुकम चन्द सांखी, हरियाणा गुज्जर गौड़ सभा के अध्यक्ष श्रवण उपाध्याय, पप्पू बत्तरा, विनोद शर्मा, कामरेड महावीर, बलवीर सोनी, पंजाबी सभ्याचरक मंच के प्रदेशाध्यक्ष बूटा सिंह मल्लेवाला, भागीरथ सोनी, मनोज सोनी, पृथ्वी राज जोशी, राजन, विष्णु शर्मा, विनोद शर्मा, दामोदर जोशी, रमा बांसल, गोबिन्द बांसल आदि ने जल व दूध के द्वारा अभिषेक किया। यह जानकारी देते हुए शिव शक्ति यज्ञ समिति के संस्थापक पं. विजय शर्मा ने बताया कि रूद्राभिषेक के तत्पश्चात लंगर भण्डारे का आयोजन किया गया।
सिरसा(सिटीकिंग) गत दिवस नगर के भादरा तालाब के पास स्थित डेरा बाबा अलखिया में शिव शक्ति यज्ञ समिति द्वारा नव वर्ष के उपलक्ष्य में भगवान शंकर की प्रसन्नता एवं विश्व कल्याण हेतु आयोजित नमक-चमक के द्वारा रूद्राभिषेक के आज अंतिम एवं इक्कीसवें दिन जारी रहा। इस अवसर विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री गंगानगर से विशेष से रूप आए गायत्री महाउपासक वैद्य रामेश्वर दत्त द्वारा सत्संग प्रवचन किया गया। वैद्य रामेश्वर दत्त ने बताया कि नमक-चमक के द्वारा रूद्राभिषेक भगवान शंकर की उपासना का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है जिसमें नमक-चमक के द्वारा पाठ किया जाता है तथा रूद्री का पाँचवां अध्याय ग्यारह बार बोला जाता है। भगवान शंकर का रूद्राभिषेक जल, दूध, सरसों के तेल, गन्ने के रस तथा घी से किया जा सकता है। उन्होंने जानकारी दी कि विभिन्न प्रकार के रूद्राभिषेक का अपना अलग-अलग महत्व है। इस अवसर पर उन्होंने सम्पूर्ण महामृत्युन्जय स्तोत्र का अर्थ बताया तथा कहा कि इस मंत्र के प्रभाव से अकाल मृत्यु, दुर्घटना तथा आकस्मिक विपत्तियों से बचा जा सकता है। आज के मुख्य यजमान के रूप में बठिण्डा के प्रमुख समाजसेवी परमदीप बांसल, लीलाधर सैनी व उनकी धर्मपत्नी राजदुलारी, पप्पू बत्तरा, मेघराज गर्ग सरदूलगढ़, संजीव लूथरा, साहिल ग्रोवर, राजू पहलवान, रामकुमार सैनी, संदीप बैनीवाल, नरेश बांसल, विनोद शर्मा, शिव शक्ति यज्ञ समिति के प्रदेशाध्यक्ष सतपाल जोशी, श्याम जोशी, सुदेश कुमार, हुकम चन्द सांखी, हरियाणा गुज्जर गौड़ सभा के अध्यक्ष श्रवण उपाध्याय, पप्पू बत्तरा, विनोद शर्मा, कामरेड महावीर, बलवीर सोनी, पंजाबी सभ्याचरक मंच के प्रदेशाध्यक्ष बूटा सिंह मल्लेवाला, भागीरथ सोनी, मनोज सोनी, पृथ्वी राज जोशी, राजन, विष्णु शर्मा, विनोद शर्मा, दामोदर जोशी, रमा बांसल, गोबिन्द बांसल आदि ने जल व दूध के द्वारा अभिषेक किया। यह जानकारी देते हुए शिव शक्ति यज्ञ समिति के संस्थापक पं. विजय शर्मा ने बताया कि रूद्राभिषेक के तत्पश्चात लंगर भण्डारे का आयोजन किया गया।