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डेरा सच्चा सौदा द्वारा वेश्याओं को समाज की मुख्यधारा में जोडने की मुहिम

24 जनवरी 2010
सिरसा(सिटीकिंग) मानवता भलाई व समाज सुधार कार्यां के लिए विश्वभर में प्रख्यात डेरा सच्चा सौदा समाज सुधार की दिशा में एक और मील पत्थर स्थापित करने जा रहा है। 25 जनवरी 2010 डेरा सच्चा सौदा के दूसरे गद्दीनशीन परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के जन्मदिन के पावन अवसर पर वर्तमान गद्दीनशीं संत गुरमीत राम रहीम ङ्क्षसह इन्सां द्वारा एक ऐतिहासिक पहल की जा रही है। पूज्य गुरू जी द्वारा समाज में हेय दृष्टि से देखी जाने वाली तथा मात्र उपभोग की वस्तु माने जाने वाली वेश्याओं को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने का बीडा उठाया गया है। उनकी इस मुहिम से प्रेरित होकर करीब डेढ हजार युवा बुराई की दलदल त्यागने वाली युवतियों को अपनी पत्नी के रूप में अपनाने के लिए आगे आ रहे हैं वहीं सैंकड़ों परिवार उनको अपनी बहन और बेटियोंं के रूप में अपनाने को तैयार हुए हैं, यही नही दर्जनों की संख्या में ऐसे परिवार भी आगे आए हैं, जो इन वेश्याओं की 'नाजायजÓ कहलाने वाली औलादों को अपने बच्चों के रूप में यानि गोद लेने के लिए भी तैयार है। परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के पावन जन्ममाह के पावन अवसर पर 25 जनवरी सोमवार को डेरा सच्चा सौदा में वेश्यावृति त्यागकर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने वाली युवतियों की शादी के पवित्र बंधन में बंधने की शुरूआत होगी। बुराइयों के दलदल में फंसी ऐसी युवतियों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए पूज्य हजूर पिता संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने अनोखी पहल की है। उन्होने बुराइयों के दलदल में फंसी युवतियों केा बुराइयां त्यागने का आह्वान किया है, तथा उन्हे अपनी बहन और बेटी बनाने का वचन दिया है। पूज्य गुरू जी द्वारा शुरू की गई इस नारी उत्थान की मुहिम में अब तक 1332 युवा आगे आ चुके है, जो उन युवतियों को अपनी जीवनसाथी यानि पत्नी के रूप में अपनाने के लिए तैयार है। इसके अलावा 232 परिवार उन युवतियों को अपनी बहन व बेटी के रूप में अपनाने के लिए तैयार है तथा जीवन भर इस रिश्ते को निभाने का प्रण ले चुके है। इसके साथ ही 38 परिवार उन वेश्याओं की नाजायज कहलाने वाली औलादों को गोद लेने का प्रण ले चुके है। पूज्य गुरू जी ने वेश्याओं को जीवनसाथी के रूप में अपनाने वालों को युवाओं को 'भक्त योद्धा' की उपाधि दी है। वेश्यावृति त्यागने वाली युवतियों को अपनाने वाले युवा यानि भक्त योद्धा अच्छे परिवारों के तथा पढे लिखे है। अपने पूज्य गुरू जी के पावन वचनों पर फूल चढ़ाते हुए समाज की परवाह किए बगैर वेश्या को भी अपना जीवन साथी स्वीकार करने वाले युवा वाकई भक्त योद्धा है, क्योंकि एक ओर जहां वे भक्ति मार्ग सें जुड़े हुए हैं वहीं दूसरी तरफ सभ्य समाज में कलंक कहलाने वाली वेश्यावृति की बुराई से लड़ रहे है।

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