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पं. रमेश चन्द्र शालिहास को हरियाणा के इतिहास में गौरवशाली स्थान प्राप्त होगा

11 जनवरी 2010
सिरसा(सिटीकिंग) पं. रमेश चन्द्र शालिहास शास्त्री शालिहास को सिरसा ही नहीं संस्कृत व हरियाणा के इतिहास में हमेशा गौरवशाली स्थान हासिल होगा और उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। वरिष्ठ संस्कृत साहित्यकार श्रीगोपाल शास्त्री ने स्थानीय घंटाघर चौक स्थित हनुमान मंदिर में शालिहास की प्रथम पुण्यतिथि पर उन्हें भावभिनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यह बात कही। शास्त्री ने कहा कि शालिहास जी ने संस्कृत के विकास में न केवल अहम योगदान दिया अपितु उनके सैकड़ों विद्यार्थी आज संस्कृत विद्वानों के रूप में ख्याति हासिल किए हुए है। श्री शालिहास को हरियाणा की संस्कृत अकादमी द्वारा प्रत्येक कार्यक्रम और समारोह में आमंत्रित किया जाता था। श्री शास्त्री ने पटौदी के गुरूकुल में आयोजित एक अकादमी समारोह में शालिहास के साथ अपने शिरकत के अनुभव सुनाते हुए कहा कि इस समारोह में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के अनेक संस्कृत के विद्वान विश्वविद्यालयों के विभागाध्यक्ष, अध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि पटौदी के गुरूकुल में कन्याएं भी आपस में संस्कृत में वार्ता करती है। यह सुखद अनुभव देखकर श्री शालिहास ने इस गुरूकुल की भूरि-भूरि प्रशंसा की और अपनी ओर से हर तरह की सेवाएं देने का प्रस्ताव किया। इस कार्यक्रम में प्रो. रूप देवगुण ने हरियाणा प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन की ओर से शालिहास को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने पिछले एक साल के दौरान जितने भी कार्यक्रम आयोजित किए प्रत्येक में उनको न केवल याद किया गया अपितु उनकी कमी महसूस की गई। इस अवसर पर सुरेश गौतम, लालपुष्प, भागेश, रमेश शास्त्री, प्रभाष शर्मा सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। इससे पहले 9 जनवरी को मंदिर प्रांगण में शाहिलास की पावन स्मृति में श्री अखण्ड रामायण पाठ का आयोजन किया गया तथा रविवार को समापन अवसर पर हवन यज्ञ के साथ अंतिम आहुति देकर शालिहास को श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में भारी संख्या में महिलाएं भी उपस्थित थी।

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