बेटियों को समाज में वह सम्मान और प्यार मिलना चाहिए,जिसकी वह हकदार हैं: बलकार सिद्धू
27 जनवरी 2010
सिरसा(सिटीकिंग) पंजाबी गायकों को पंजाबी संस्कृति और मूल्यों को तरजीह देते हुए ऐसे गीतों को जनता के समक्ष लाना चाहिए जो साकारात्मक का संदेश लिए हों और परिवार में बैठकर सुने जा सकते हैं। उक्त विचार पंजाबी गायक बलकार सिंह सिद्धू ने डबवाली रोड स्थित दीप मीडिया हब में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहे। दर्जन से ज्यादा एलबमों द्वारा पंजाबी श्रोताओं के दिलों पर राज करने वाले पंजाबी गायक बलकार सिंह सिद्धू का कहना है कि वे जब भी किसी गीत की रचना करते हैं तो सबसे पहले अपने परिवार के सदस्यों को सुनाते हैं। यह यकीनी बनाते हैं कि उनके गीत परिवार में बैठकर सुनने योग्य हों। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पंजाबी गीतों में आ रही अश£ीलता तभी समाप्त हो सकती है जब लोग ऐसे गीतों को पूरी तरह से नकार दें और साफ सुथरे गीतों को ही तरजीह दें। बलकार सिद्धू का कहना है कि बेटियों को समाज में वह सम्मान और प्यार मिलना चाहिए, जिसकी वह हकदार हैं। वे बताते हैं कि अपने बेटी के जन्म पर उन्होंने खुशी में लोहड़ी मनाई थी और बहुत से लोग ऐसा करके बेटियों को मान सत्कार दे रहे हैं। 'मुंडा अपणे विआह दे विच नचदा फिरे...' और 'मेहंदी' जैसे लोकप्रिय गीतों के गायक बलकार सिद्धू भारतीय संस्कृति को सिरमोर मानते हैं और उन्हें हरियाणा व राजस्थान के लोकगीत-संगीत से विशेष लगाव है। अंत में सिद्धू ने अपने प्रति दिखाए गए प्रेम के लिए उपस्थित लोगों के प्रति आभार प्रकट किया। इस मौके पर दीप ऑटो मोबाइल के संचालक पवनदीप सिंह जौली, पंजाबी सत्कार सभा के जिला प्रधान प्रदीप सचदेवा, लक्की छाबड़ा सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
सिरसा(सिटीकिंग) पंजाबी गायकों को पंजाबी संस्कृति और मूल्यों को तरजीह देते हुए ऐसे गीतों को जनता के समक्ष लाना चाहिए जो साकारात्मक का संदेश लिए हों और परिवार में बैठकर सुने जा सकते हैं। उक्त विचार पंजाबी गायक बलकार सिंह सिद्धू ने डबवाली रोड स्थित दीप मीडिया हब में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहे। दर्जन से ज्यादा एलबमों द्वारा पंजाबी श्रोताओं के दिलों पर राज करने वाले पंजाबी गायक बलकार सिंह सिद्धू का कहना है कि वे जब भी किसी गीत की रचना करते हैं तो सबसे पहले अपने परिवार के सदस्यों को सुनाते हैं। यह यकीनी बनाते हैं कि उनके गीत परिवार में बैठकर सुनने योग्य हों। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पंजाबी गीतों में आ रही अश£ीलता तभी समाप्त हो सकती है जब लोग ऐसे गीतों को पूरी तरह से नकार दें और साफ सुथरे गीतों को ही तरजीह दें। बलकार सिद्धू का कहना है कि बेटियों को समाज में वह सम्मान और प्यार मिलना चाहिए, जिसकी वह हकदार हैं। वे बताते हैं कि अपने बेटी के जन्म पर उन्होंने खुशी में लोहड़ी मनाई थी और बहुत से लोग ऐसा करके बेटियों को मान सत्कार दे रहे हैं। 'मुंडा अपणे विआह दे विच नचदा फिरे...' और 'मेहंदी' जैसे लोकप्रिय गीतों के गायक बलकार सिद्धू भारतीय संस्कृति को सिरमोर मानते हैं और उन्हें हरियाणा व राजस्थान के लोकगीत-संगीत से विशेष लगाव है। अंत में सिद्धू ने अपने प्रति दिखाए गए प्रेम के लिए उपस्थित लोगों के प्रति आभार प्रकट किया। इस मौके पर दीप ऑटो मोबाइल के संचालक पवनदीप सिंह जौली, पंजाबी सत्कार सभा के जिला प्रधान प्रदीप सचदेवा, लक्की छाबड़ा सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।