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साहित्य साधना में सपरा आज भी प्ररेणा स्त्रोत: रमेन्द्र जाखू

15 जनवरी 2010
सिरसा(सिटीकिंग) मोहन सपरा ने हिंदी कविता यात्रा में जो मुकाम हासिल किया है, वह लंबी तपस्या और साधना का परिणाम है। सपरा ने एक गुरू के नाते अपने शिष्यों को भी हिंदी साहित्य के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों के पावन बंधन में रहते हुए जीवन जीने की प्रेरणा दी है। यह बात हरियाणा सरकार के वित्तायुक्त एवं प्रख्यात शायर रमेन्द्र जाखू ने आज पहल द्वारा आयोजित मोहन सपरा की पुस्तक 'काले पृष्ठों पर उकरे शब्द' के लोकार्पण समारोह में उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम हरियाणा प्रादेशिक हिंदी साहित्य सम्मेलन व लायंस क्लब सिरसा सिटी के सहयोग से आयोजित किया गया था। जाखू ने कहा कि साहित्य साधना में सपरा आज भी प्रेरणा स्त्रोत हैं और उनकी कलम से अभी बहुत कुछ उकरना बाकी है। कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. हुकुम चंद राजपाल और पूरन मुद्गल ने सपरा की काव्य यात्रा को न केवल अद्भुत बताया, अपितु इसे आने वाली पीढिय़ों के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बताया। बीज वक्तव्य के रूप में चर्चा करते हुए प्रख्यात पत्रकार साहिकमलेश भारतीय ने सन् 1970 से लेकर अब तक की मोहन सपरा की काव्य यात्रा का विस्तार से अवलोकनकारी चर्चा की। भारतीय ने कहा कि सपरा में अकेला कवि रचनाकार या प्राध्यापक नहीं, अपितु एक मौजूदा परिवेश को दिशा देने वाला प्रकाश स्तभ भी है। भारतीय ने मोहन सपरा की सभी पुस्तकों की चर्चा की और विभिन्न काव्य आयामों का उल्लेख किया। इस अवसर पर श्री गोपाल शास्त्री ने मोहन सपरा के लिए आशीर्वचन देते हुए उन्हें आगे बढऩे की प्रेरणा दी। कार्यक्रम में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें हिसार से डॉ. राधेश्याम शुक्ल, हरभगवान चावला, रूप देवगुण, राजकुमार निजात, दर्शन सिंह, जीडी चौधरी, डॉ. शील कौशिक, सुभाष सलूजा, किरण मल्होत्रा ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम में रमेन्द्र जाखू द्वारा प्रस्तुत गज़लों को लोगों ने जमकर सराहा और हर एक शेयर पर जमकर दात दी। श्रोताओं की मांग पर मोहन सपरा ने भी एक कविता का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन पहल के प्रधान लाजपुष्प ने किया। इस अवसर पर डॉ. आर.एस. सांगवान, वीरेन्द्र बाहिया, प्रवीण बाघला, सतीश गुप्ता, विनय गुप्ता, निर्मल राणा, मुलखराज ग्रोवर, रमेश शास्त्री, प्रभाष शर्मा, गिरीश सपरा, राजीव सपरा, नरेश जिंदल, बीडी वर्मा, सुखचैन सिंह भंडारी, आरपी सेठी कमाल सहित अनेक गणमान्यजन मौजूद थे। कार्यक्रम के समापन पर मुख्यातिथि ने कवियों और वक्ताओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया तथा रूप देवगुण ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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