स्पाइडमैन की तरह दिवार पर चढना होगा सरल
05 फरवरी 2010
किस तरह से काम करती है यह तकनीक?
9 वाट की बैटरी के द्वारा इलैक्ट्रिक फिल्ड पैदा किए जाने पर पानी डिवाइज़ तक पहुँचता है और उसकी बूंदों की वजह से ऊपर परत के छेद सिकुड़ जाते हैं। इससे सतह किसी भी दूसरी सतह पर उसी तरह से चिपक जाती है जिस तरह से दो गिले काँच एक दूसरे से चिपक जाते हैं। इस टीम ने पता लगाया कि सतह पर मौजूद छेड जितने छोटे और पास-पास होंगे उनकी चिपकने की क्षमता उतनी ही अधिक होगी। 1000 300 माइक्रोन के आकार के छेद करीब 30 ग्राम वजन को लेकर चिपक सकते हैं। इस प्रकार एक वर्ग इंच में यदि 1 माइक्रोन के आकार के 10 लाख छेद हों तो वह 15 पाउंड के वजन को उठा सकते हैं। अभी इस तकनीक पर आधारित प्लेट का प्रोटोटाइप बना है। भविष्य में और अधिक संशोधन होने के पश्चात इस तरह के ग्लोव बनाए जा सकेंगे जिन्हें पहनकर दिवार पर चढना काफी सरल हो जाएगा।
प्रस्तुति: तरकश ब्यूरो
स्पाइडरमैन नामक कॉमिक और फिल्मी पात्र किसी भी दिवार पर तेजी से चढ जाता है। इसके लिए जिम्मेदार होते हैं उसकी हथेली पर उग आए विशेष प्रकार के बाल जो दिवार की सतह के साथ चिपक जाते हैं। स्पाइडरमैन के पास यह ताकत एक रेडियोएक्टिव मकड़ी के काटने से आई है, लेकिन अब आम आदमी भी बहुत जल्द ऐसी ही एक तकनीक के सहारे स्पाडरमैन बन पाएगा! पॉल स्टीन और माइकल वोगल के द्वारा आविष्कारित यह तकनीक कुछ कुछ उसी तरह से काम करती है जिस तरह से नोटपेड के पीले नोट किधर भी चिपका कर फिर से उखाड़े जा सकते हैं। फ्लोरिडा बीटल नामक जंतु से प्रेरणा पाकर उनकी टीम ने ऐसी प्लेट बनाई है जिसमें कई छोटे छोटे [माइक्रोंस – एक मीटर का दस लाखवाँ हिस्सा] छेद होते हैं. इस प्लेट के नीचे एक जगह होती है जहाँ पानी संग्रहित होता है।किस तरह से काम करती है यह तकनीक?
9 वाट की बैटरी के द्वारा इलैक्ट्रिक फिल्ड पैदा किए जाने पर पानी डिवाइज़ तक पहुँचता है और उसकी बूंदों की वजह से ऊपर परत के छेद सिकुड़ जाते हैं। इससे सतह किसी भी दूसरी सतह पर उसी तरह से चिपक जाती है जिस तरह से दो गिले काँच एक दूसरे से चिपक जाते हैं। इस टीम ने पता लगाया कि सतह पर मौजूद छेड जितने छोटे और पास-पास होंगे उनकी चिपकने की क्षमता उतनी ही अधिक होगी। 1000 300 माइक्रोन के आकार के छेद करीब 30 ग्राम वजन को लेकर चिपक सकते हैं। इस प्रकार एक वर्ग इंच में यदि 1 माइक्रोन के आकार के 10 लाख छेद हों तो वह 15 पाउंड के वजन को उठा सकते हैं। अभी इस तकनीक पर आधारित प्लेट का प्रोटोटाइप बना है। भविष्य में और अधिक संशोधन होने के पश्चात इस तरह के ग्लोव बनाए जा सकेंगे जिन्हें पहनकर दिवार पर चढना काफी सरल हो जाएगा।