डा. बाना ने बच्चों के स्वास्थ्य पर की विशेष बातचीत
01 फरवरी 2010
नवजात शिशु के लिए कौन से टीके आवश्यक है?
सर्वप्रथम तो सरकार द्वारा चलाए गए विभिन्न टीकाकरण अभियान में शामिल होना अति आवश्यक है। जिन बच्चों का जन्म अस्पताल में होता है। उनके लिए तो आवश्यक है कि वे दो सप्ताह के भीतर ही बीसीजी, हैपेटाइटिस बी, पोलियो की जीरो डोज़ का टीकाकरण करवा लें। अगर किसी कारणवश जन्म के समय यह टीके न लगवा पाए तो छ: हफ्ते के भीतर इन टीकों के साथ डी. पी. टी. का टीका भी लगवा लें। ये टीके सरकार द्वारा नि:शुल्क लगाऐ जाते हैं। इसके इलावा ओर भी कई ऐसे टीके हैं जो जन्म के समय बच्चे को लगवाए जा सकते हैं। जैसे हिब का टीका। ये टीके बच्चे को भविष्य में होने वाली अनेक बीमारियों से बचाव करते हैं।
कम आयु में आँखों की दृष्टि कम होने का क्या कारण है?
आज के युग में टी. वी. व कम्प्यूटर आदि का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है। बहुत कम उम्र में बच्चे इसका उपयोग करने लगते हैं। उनके बैठने का ढंग भी उचित नहीं होता। बहुत कम दूरी से वे टी.वी. या कम्प्यूटर का प्रयोग करते हैं। जो कि आँखों पर गहरा दुष्रप्रभाव डालते हैं। कुछ बच्चों में यह समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है। इसके लिए माँ-बाप को चाहिए की वे टी.वी. को ऐसे स्थान पर रखे जिससे सही दूरी बनी रहे। बच्चों को पौष्टिक आहार दें।
बच्चों के स्वास्थ्य के लिए माँ-बाप को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
बच्चों को जन्म के साथ ही उन्हें विभिन्न बिमारियों से बचाने के लिए टीके लगवाने चाहिए। इसके साथ-साथ बच्चे के खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। समय-समय पर उनकी शारीरिक जांच करवानी चाहिए। ठंड और मौसम के बदलाव से बचाने के प्रयास करने चाहिए। उन्हें पौष्टिक आहार देना चाहिए। मां-बाप बच्चों पर पढाई का अत्याधिक प्रेसर न डाला जाए क्योंकि इससे उनके मानसिक विकास में बांधा आती है इसलिए उनकेशारीरिक व मानसिक विकास का विशेष ध्यान रखे।
पहले की अपेक्षा बच्चे के खानपान में बदलाव आ रहे है इसके क्या कारण है?
प्राचीन समय में यह मान्यता थी कि बच्चे को जन्म के तीसरे महीने के बाद धीरे-धीरे हल्का भोजन खिलाना शुरू करें। मोबाइल फोन में बदलाव आने के साथ-साथ विज्ञान में भी तरक्की हो रही है। आज के विज्ञान के अनुसार बच्चें को छह महीने तक माँ का दूध ही पिलाया जाना आवश्यक समझा जाता है क्योंकि बच्चे के लिए माँ के दूध को सर्वोपरि माना जाता है।
प्रस्तुति: प्रवीण ,पुष्पा व चेतन
बीमारियों पर हमारा कोई काबू नहीं है पर हम उनसे बचाव करने के उपाय अवश्य कर सकते है। बच्चों को भविष्य में बीमारियों से बचाने के लिए जन्म के साथ ही टीकाकरण का क्रम प्रारंभ होना चाहिए। बच्चों को किसी तरह की बीमारी की शिकायत होने पर तुरंत उनका इलाज किसी योग्य डाक्टर से करवाएं। यह कहना है शिशु रोग विशेषज्ञ डा.आर.एन बाना का। डा. बाना ने यह बात सिरसा के सामुदायिक रेडियों स्टेशन के कार्यक्रम हैलो सिरसा में केंद्र निदेशक वीरेंद्र सिंह चौहान से बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष बातचीत की। डा. बाना ने टैलीफोन के माध्यम से जुड़े श्रोताओं की समस्याओं का भी निदान किया। पेश है बातचीत के कुछ अंश:-नवजात शिशु के लिए कौन से टीके आवश्यक है?
सर्वप्रथम तो सरकार द्वारा चलाए गए विभिन्न टीकाकरण अभियान में शामिल होना अति आवश्यक है। जिन बच्चों का जन्म अस्पताल में होता है। उनके लिए तो आवश्यक है कि वे दो सप्ताह के भीतर ही बीसीजी, हैपेटाइटिस बी, पोलियो की जीरो डोज़ का टीकाकरण करवा लें। अगर किसी कारणवश जन्म के समय यह टीके न लगवा पाए तो छ: हफ्ते के भीतर इन टीकों के साथ डी. पी. टी. का टीका भी लगवा लें। ये टीके सरकार द्वारा नि:शुल्क लगाऐ जाते हैं। इसके इलावा ओर भी कई ऐसे टीके हैं जो जन्म के समय बच्चे को लगवाए जा सकते हैं। जैसे हिब का टीका। ये टीके बच्चे को भविष्य में होने वाली अनेक बीमारियों से बचाव करते हैं।
कम आयु में आँखों की दृष्टि कम होने का क्या कारण है?
आज के युग में टी. वी. व कम्प्यूटर आदि का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है। बहुत कम उम्र में बच्चे इसका उपयोग करने लगते हैं। उनके बैठने का ढंग भी उचित नहीं होता। बहुत कम दूरी से वे टी.वी. या कम्प्यूटर का प्रयोग करते हैं। जो कि आँखों पर गहरा दुष्रप्रभाव डालते हैं। कुछ बच्चों में यह समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है। इसके लिए माँ-बाप को चाहिए की वे टी.वी. को ऐसे स्थान पर रखे जिससे सही दूरी बनी रहे। बच्चों को पौष्टिक आहार दें।
बच्चों के स्वास्थ्य के लिए माँ-बाप को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
बच्चों को जन्म के साथ ही उन्हें विभिन्न बिमारियों से बचाने के लिए टीके लगवाने चाहिए। इसके साथ-साथ बच्चे के खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। समय-समय पर उनकी शारीरिक जांच करवानी चाहिए। ठंड और मौसम के बदलाव से बचाने के प्रयास करने चाहिए। उन्हें पौष्टिक आहार देना चाहिए। मां-बाप बच्चों पर पढाई का अत्याधिक प्रेसर न डाला जाए क्योंकि इससे उनके मानसिक विकास में बांधा आती है इसलिए उनकेशारीरिक व मानसिक विकास का विशेष ध्यान रखे।
पहले की अपेक्षा बच्चे के खानपान में बदलाव आ रहे है इसके क्या कारण है?
प्राचीन समय में यह मान्यता थी कि बच्चे को जन्म के तीसरे महीने के बाद धीरे-धीरे हल्का भोजन खिलाना शुरू करें। मोबाइल फोन में बदलाव आने के साथ-साथ विज्ञान में भी तरक्की हो रही है। आज के विज्ञान के अनुसार बच्चें को छह महीने तक माँ का दूध ही पिलाया जाना आवश्यक समझा जाता है क्योंकि बच्चे के लिए माँ के दूध को सर्वोपरि माना जाता है।