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पर्यावरण वैटलैंड पर निर्भर

वैटलैंड-डे पर विशेष
02 फरवरी 2010
प्रस्तुति: डॉ. रानी
र्तमान समय में आज हम और हमारा विश्व 21वीं शताब्दी में अपने पांव रख चुके हैं, परंतु हम इस विश्व उन्नति में अपने पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। जिस तरह हम अपनी प्रगति के बारे में सोचते हैं, उसी तरह पर्यावरण भी अपनी उन्नति के लिए वैटलैंड पर निर्भर रहता है। वैटलैंड वह जगह होती है, जहां पर धरती और जल का संगम होता है जैसे तालाब, समुद्रीय तट, दलदल आदि। यहां पर पानी का ठहराव होता है, जिससे कि धरती-पानी को सोक लेती है और शुद्ध पानी फिल्टर होकर धरती के पानी में मिल जाता है। वैटलैंड में भोजन व पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में होते हैं, जिससे वहां विभिन्न प्रकार के पौधे, जानवर, मछलियां आदि पाए जाते हैं, जिन्में हम खाद्य पदार्थों के रूप में प्रयोग करते हैं। आपको यहां यह जानकर आश्चर्य होगा कि वैटलैंड की वजह से बाढ़ में 80 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। प्रकृति को बचाने के लिए रामसर (ईरान) में 2 फरवरी 1971 को पहला कदम उठाया गया तथा इस प्रथम कदम को हम 'रामसर कन्वेंशन' के नाम से जानते हैं। इसी दिन से 2 फरवरी को वैटलैंड-डे के नाम से मनाते हैं तथा इस दिन हम लोगों को वैटलैंड के प्रति जागरूकता फैलाकर अपनी प्रकृति को बचाने का प्रयास करते हैं।

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