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सिरसा में चौधरी रणबीर सिंह की प्रथम पुण्यतिथि पर वेबवार्ता कार्यक्रम आयोजित

02 फरवरी 2010
प्रस्तुति: मनमोहित ग्रोवर
भारत की संविधान निर्मात्री संभा में जिन विभूतियों ने गांव और गरीब के अधिकारों व कल्याण को सर्वोपरि रखने की पुरजोर वकालत की उनमें स्व. चौधरी रणबीर सिंह भी शामिल हैं। ग्राम उनका मानना था कि गांव के हित के साथ ही सबका हित बंधा है और किसान व मजदूर के हितों की अनदेखी कभी नहीं होनी चाहिए। यह कहना है प्रख्यात इतिहासविद डा. केसी यादव का। स्वाधीनता सेनानी और देश के सात विभिन्न सदनों के सदस्य रहे चौधरी रणबीर सिंह की प्रथम पुण्यतिथि पर वेबवार्ता कार्यक्रम के तहत डा. यादव पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह चौहान से बातचीत कर रहे थे। गुडग़ांव स्थित हिपा कार्यालय से वेबकांफ्रेसिंग के जरिए सामुदायिक रेडियो के इस कार्यक्रम में शामिल हुए डा. यादव ने बताया कि चौधरी रणबीर सिंह द्वारा संविधान सभा में दिए गए वक्तव्यों से साफ है कि स्वाधीनता प्राप्ति के समय से ही वे अलग हरियाणा के निर्माण की वकालत कर रहे थे। कालांतर में जब वे संयुक्त पंजाब में मंत्री बने तो भी केबिनेट क ी बैठकों से लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ अनौपचारिकमुलाकातों तक वे अलग हरियाणा की दमदार पैरवी करते रहे। अंतत: जब प्रदेश के गठन का समय आया तो संसाधनों व क्षेत्र के बंटवारे के सवाल पर भी वे बहुत प्रखरता व मुखरता के साथ हरियाणा का पक्ष रखने वालों में अग्रणी थे। अबोहर फाजिल्का आदि हिंदी भाषी इलाकों की बात हो या पानी के बंटवारे का सवाल तमाम मामलों में चौधरी रणबीर सिंह ने हरियाणा की बात बहुत प्रभावशाली ढंग से रखी। भाखड़ा बांध के निर्माण को डा. यादव चौधरी रणबीर सिंह के देश और खासकर राज्य के विकास में सबसे बड़े योगदान के रूप में याद करते हैं। इतिहासकार डा. यादव कहते हैं कि दीनबंधु छोटूराम को अगर भाखडंा परियोजना को कागजों में उतारने व अंतिम रूप देने का श्रेय जाता है तो इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए सर्वाधिक कार्य करने का श्रेय चौधरी रणबीर सिंह को जाता है। एक सवाल के जवाब में डा. यादव ने संविधान सभा में चौधरी रणबीर सिंह के वक्तव्यों के हवाले से बताया कि वे सत्ता के विकेंद्रीकरण के पक्षधर थे और गांवों कों अधिकाधिक शक्ति संपन्न गणराज्यों के रूप में देखना चाहते थे। किसी भी कार्य को करते समय समाज के अंतिम व्यक्ति की चिंता करने के महात्मा गांधी के सिद्धांत को उन्होंने अपने जीवन में अपनाया था और उनका मानना था कि बापू का दिया यह ताबीज राजनीतिक क्षेत्र में कार्य कर रहे प्रत्येक व्यक्ति को बांध लेना चाहिए। बकौल डा. यादव आज के सियासतदान चौधरी रणबीर सिंह से यही सीख ले सकते हैं। गांव और गरीब से नाता जोड़े बगैर भारत के स्वाधीनता संग्राम के आधारभूत मूल्यों को कायम नहीं रखा जा सकता और स्वयं चौधरी रणबीर सिंह इन मूल्यों की रक्षा लिए आजीवन तत्पर रहे। चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा के जीवनकाल में और एक वर्ष पूर्व उनके निधन के बाद दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी के व्यक्तित्व और क र्तृत्व के विभिन्न आयामों पर शोधरत डा. केसी यादव ने बताया कि महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में स्थापित चौधरी रणबीर सिंह शोध पीठ के तत्वावधान में अब तक तीन प्रकाशन इस सिलसिले में आ चुके हैं। इनमें चौधरी रणबीर सिंह द्वारा संविधान सभा और विधायी संविधान सभा में उनके भाषणों व प्रश्रों का संकलन मेकिंग ऑफ अवर कांस्टीट्यशन: स्पीचिज ऑफ चौ. रणबीर सिंह इन कांस्टीच्यूएंट असेंबली आफ इंडिया के नाम से प्रकाशित किया गया है। इसमें उनके व्यकित्व की अनूठी झांकी देखने को मिलती है। इस पुस्तक का संपादन स्वयं डा. यादव और पीठ के अध्यक्ष चौ. ज्ञान सिंह ने किया है। इसी क्र म में पीठ ने पूर्व राज्यपाल सुल्तान सिंह के संस्मरणों पर आधारित पुस्तक9 चौधरी रणबीर सिंह: जीवन, व्यक्तित्व और कर्तृत्व भी प्रकाशित की गई है। उन्होंने बताया कि चर्चित लोकगायक रणबीर बड़वासनियां द्वारा गाई गई चौधरी रणबीर सिंह के जीवन विषयक रागनियों का संग्रह भी प्रकाशित हुआ है। उन्होंने बताया कि चौधरी रणबीर सिंह पीठ के तत्वावधान में चौधरी रणबीर सिंह के व्यक्तित्व और कार्यों के और बारीकी से अध्ययन के लिए कार्य जारी है और पंजाब विधानसभा में उनके वक्तव्यों और मंत्रिमंडल की बैठकों से संबंधित उनसे जुड़े दस्तावेजों पर शोध होना अभी बाकी है। डा. यादव के अनुसार चौधरी रणबीर सिंह के संस्मरणों पर आधारित उनके जीवनकाल में प्रकाशित पुस्तक स्वराज के स्वर स्वाधीनता संग्राम में उनकी भूमिका समेत विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डालती है और इसका अंग्रेजी अनुवाद सांग ऑफ फ्रीडम भी प्रकाशित हो चुका है।

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