ब्लाक स्तर पर मेडिटेशन विद्यालय खोलने हेतु
20 फरवरी 2010
सेवा में,
मान्यवर,
आप जी के द्वारा अनेकों रूप में अनेको जीवों क़ा उद्धार किया जाता है। इस कड़ी में आपके द्वारा सिरसा में शाह सतनाम सिंह विद्यालय की भी स्थापना की गई है जिसमें अनेकों बच्चे लाभान्वित हुए है। लेकिन सिरसा जैसे बड़े शहर में हर बच्चे का पंहुचना असंम्भव तो नहीं कठिन आवश्यक है। मुझ जैसा तुच्छ प्राणी चाहक र भी आपके विद्यालय में अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान नहीं करवा पाता है। आप जी की शिक्षा और संस्कार रूपी मोतियों की माला में बच्चों को पिरोया जाना नितान्त आवश्यक है।
अत: आपसे निवेदक किया जाता है कि आपकी एक कृप्या ऐलनाबाद में भी डालें तथा एक ऐसा विद्यालय (शाह सतनाम जी विद्यालय जैसा) चाहे दसवीं कक्षा तक ही क्यों न हो, अवश्य खोले। ताकि क्षेत्र के बच्चे आपकी दी हुई हर शिक्षा चाहे वो मेडिटेशन की हो चाहे स्कूल की किताबी ज्ञान से लांभावित हो सके। आप जैसे शंहशांह के लिए यह कार्य तुच्छ मात्र है। लेकिन अनेकों जीवों का उद्धार उदारणीय है। मैं आशा करता हूं कि आप स्वंय इस कार्य में विशेष ध्यान देकर क्षेत्र की नींव की ईंट को जरूर पकाएंगे ताकि यही नीव की ईंट ऊपर बनने वाले महल को मजबूती प्रदान कर सके।
सेवा में,
शंहशाहों के शंहशाह,
राम रहीम गुरमीत सिंह जी,
धन-धन सतगुरू तेरा ही आसरा।
मान्यवर,
आप जी के द्वारा अनेकों रूप में अनेको जीवों क़ा उद्धार किया जाता है। इस कड़ी में आपके द्वारा सिरसा में शाह सतनाम सिंह विद्यालय की भी स्थापना की गई है जिसमें अनेकों बच्चे लाभान्वित हुए है। लेकिन सिरसा जैसे बड़े शहर में हर बच्चे का पंहुचना असंम्भव तो नहीं कठिन आवश्यक है। मुझ जैसा तुच्छ प्राणी चाहक र भी आपके विद्यालय में अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान नहीं करवा पाता है। आप जी की शिक्षा और संस्कार रूपी मोतियों की माला में बच्चों को पिरोया जाना नितान्त आवश्यक है।
अत: आपसे निवेदक किया जाता है कि आपकी एक कृप्या ऐलनाबाद में भी डालें तथा एक ऐसा विद्यालय (शाह सतनाम जी विद्यालय जैसा) चाहे दसवीं कक्षा तक ही क्यों न हो, अवश्य खोले। ताकि क्षेत्र के बच्चे आपकी दी हुई हर शिक्षा चाहे वो मेडिटेशन की हो चाहे स्कूल की किताबी ज्ञान से लांभावित हो सके। आप जैसे शंहशांह के लिए यह कार्य तुच्छ मात्र है। लेकिन अनेकों जीवों का उद्धार उदारणीय है। मैं आशा करता हूं कि आप स्वंय इस कार्य में विशेष ध्यान देकर क्षेत्र की नींव की ईंट को जरूर पकाएंगे ताकि यही नीव की ईंट ऊपर बनने वाले महल को मजबूती प्रदान कर सके।
आपसे यही इच्छा रखता हुआ तुच्छ प्राणी।
सुरेन्द्र सरदाना