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राधा कृष्ण की जोडी भक्तों के लिए बनी आर्कषण का केंद्र

10 मार्च 2010

सिरसा(अमित सोनी) बाल रसिक संघ द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवें एवं समापन दिवस की संध्या कथा के दौरान व्यास पीठ पर सुशोभित गौरव कृष्ण गोस्वामी जी ने उपस्थित श्रोताओं को जहां भक्ति रस में डुबोया वहीं अनेक मार्मिक प्रसंग सुनाकर भाव विह्वल भी कर दिया। उन्होंने कल कथा को आगे बढ़ाते हुए कामदेव का भस्म होना, सीमांतक मणी का प्राप्त होना, जामवंत द्वारा मणी प्राप्त कर अपनी पुत्री जामवंती को देना, भगवान कृष्ण पर मणी का कलंक लगना व भगवान द्वारा पुण्य प्राप्त कर मणी सत्राजीत को देने के प्रसंग सुनाए। व्यास जी ने भगवान के आठों विवाहों का वर्णन व उनके 16 हजार 100 रानियां को जरासंध के कारागार से छुड़वाने व उन्हें स्वीकार करने का भी वर्णन किया। इस प्रकार भगवान के 16 हजार 108 विवाहों का वर्णन किया गया। शिशुपाल कथा का वर्णन करते हुए आचार्य श्री ने बताया कि शिशुपाल भगवान से ईष्र्या रखता था लेकिन भगवान ने उसे 100 अपराध करने तक क्षमा किया और 101वां गुनाह करने पर उसे अपने सुदर्शन चक्र से गति प्रदान की। कथा का सबसे मार्मिक प्रसंग भगवान के परम मित्र सुदामा का रहा जो दरिद्रता में भी भगवान की मित्रता व भक्ति से टस से मस नहीं हुआ। जब वह दो मु_ी चावल लेकर भगवान के पास पहुंचा तो श्रीकृष्ण ने उसके चरण धोए जो रास्ते के कारण कंटकयुक्त हो गए थे। चरण धोते समय भगवान का भाव विह्वल होने के साथ ही उपस्थित श्रोताओं के नेत्र भी सजल हो उठे। इस दृश्य को सजीवता प्रदान करते हुए आचार्य श्री ने भजन, देख सुदामा की दीन दशा, करुणा करके करुणानिधि रोए... प्रस्तुत किया तो महाराजश्री के मुख से निकले शब्दों पर ऐसा वातावरण बन गया कि पंडाल में भक्तजन भी फफक-फफककर रो पड़े। स्वयं महाराज श्री की आंखें भी सजल हो गईं। महाराज श्री ने ज्ञान, भक्ति, वैराग्य की विस्तृत बातें सुनाईं जिससे सारा पंडाल स्तब्ध रहकर आचार्य श्री के प्रवचन सुनता रहा। इस अवसर पर होली लीला का अवसर देखते ही बनता था। लगभग 2 क्विंटल फूलों के साथ होली उत्सव मनाया गया तो ऐसा लगा कि स्वर्ग से देवता पुष्प बरसा रहे हों। राधा-कृष्ण की जोड़ी भी भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र थी। आचार्य श्री गोस्वामी जी ने फूलों की होली खेलते समय किशोरी कुछ ऐसा...इंतजाम हो जाए, जुबां पर राधा-राधा-राधा नाम हो जाए प्रस्तुत किया वहीं एक अन्य भजन पर भी भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। भजन के बोल थे, होली खेल रहे बांके बिहारी, आज रंग बरस रहा, झूम रही दुनिया सारी, आज रंग बरस रहा...। आचार्य श्री ने वरदान के प्रभाव से भील द्वारा भगवान के पांव में तीर मारने और भगवान के बैकुण्ठधाम गमन करने का प्रसंग भी सुनाया। इससे पूर्व आज प्रारंभ में कृष्ण दास भुटानी ने महाराज श्री का अभिनंदन करते हुए भजन प्रस्तुत किया, यत्न बताए जाइयो जा से दिन कट जाए, हृदय चीर कागज बनायो, अपनी सुरतिया लखाय जाइयो... के माध्यम से आभार प्रकट किया। समापन पर पुरुषोत्तम दास गौतम ने आचार्य अभिनंदन किया और कहा कि आचार्य श्री के सात दिनों का उपकार सिरसा की भूमि पर रहेगा। कथा के मुख्य यजमान रोशन लाल गोयल सपत्नीक थे। दैनिक यजमान के तौर पर भजन गायक भैया कृष्ण भुटानी, जिला कांग्रेस कमेटी के प्रधान होशियारी लाल शर्मा, सुखबीर सिंह जैन एडवोकेट, व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष हीरालाल शर्मा, राम अवतार हिसारिया, प्रेम कंदोई, इंद्र गोयल, नकुल मोहंता, संजीव जैन, जोगिंद्र नागपाल सहित शहर के अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। आज सुबह 10 बजे से 1 बजे तक भैया कृष्ण भुटानी द्वारा संकीर्तन किया गया और उसके उपरांत अटूट लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।

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