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पंजाब नशे की चपेट में और अफसरशाही सत्ता के नशे में

22 मार्च 2010
चंडीगढ(प्रैसवार्ता) पंजाब प्रदेश में पुलिस तथा स्वास्थ्य विभाग के तालमेल होने के चलते पूरा राज्य नशे की चपेट में गया है और नशा माफिया इस कदर हावी हो गया है कि सरकार चाह कर भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। अफसरशाही सत्ता के नशे में भ्रष्टाचार की बैसाखी पर खडी हुई है, राजनेताओं की आंखो में अफसरशाही की पट्टियां बांधी हुई है और कानूनी अडचनों में पुलिस प्रशासन को बेवसी जामा पहनाया हुआ है-जिस कारण नशा माफियों का कारोबार महंगाई की तरह निरंतर बढ़ रहा है। 'प्रैसवार्ता' द्वारा एकत्रित की गई जानकारी अनुसार नशीली दवाइयों की बिक्री करने वालों का निरीक्षण कार्यवाही करने का अधिकार ड्रग इन्सपैक्टरों के पास है और उनकी मांग पर पुलिसिया तंत्र सहायक बनता है। राज्य में शायद ही ऐसा कोई ड्रॅग इंसपैक्टर होगा, जो नशा माफिया गिरोह से जुडा हो। प्रदेश में ऐसे मैडीकल स्टोरों की कमी नहीं है, जिनके पास लाईसैंस तक नहीं है या फिर किराये के लाईसैंस है, जोकि राज्य सरकार के कानूनी नियमों की उल्लंघना के दायरे में आते है, मगर भ्रष्टाचारी पतंग या सत्तापक्ष का प्रभाव उनका बाल भी बांका नहीं होने देता। नाम छापने की शर्त पर एक मैडिकल स्टोर के संचालक ने बताया कि प्रदेश का शायद ही कोई ऐसा ड्रग इंस्पैक्टर होगा, जिसके पास करोडो रूपयों की नामी-बेनामी संपति हो, क्योंकि एक-एक ड्रग इंस्पैक्टर को प्रतिमास लाखों रूपयों का सुविधा शुल्क मैडीकल स्टोर वालों से मिलता है और नशा माफिया से भागीदारी का भाग अलग से। ड्रग इंस्पैक्टरों की भ्रष्ट कमाई में मीडिया की भूमिका को भी नहीं नकारा जा सकता, क्योंकि मीडिया द्वारा दिया गया समाचार इनकी रिश्वती दर में वृद्धि कर देता है।

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