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श्री मद्भागवत कथा सप्ताह के तीसरे दिन भी रहा जारी

06 मार्च 2010
सिरसा(अमित सोनी) श्रद्धेय गौरव कृष्ण स्वामी जी महाराज ने कहा कि भागवत के प्रत्येक श्लोक, पद व शब्द में ठाकुर जी व श्री राधा जी साथ-साथ हैं। एक तत्व तो दो तन धरे रूप भागवत भगवान का ही वाड्गमय रूप है। आचार्य श्री अनाज मंडी में बाल रसिक संघ द्वारा आयोजित श्री मद्भागवत कथा सप्ताह के तीसरे दिन उपस्थित श्रद्धालुओं पर अमृतवर्षा कर रहे थे। आचार्य श्री ने भागवत का अर्थ बताते हुए वर्णन किया कि भागवत का शाब्दिक अर्थ बड़ा ही सुंदर है। भा का अर्थ भावुकता, ग का अर्थ गति अर्थात परम गति, व से यह पूर्णतया वंदना से परिपूर्ण है तथा त शब्द तत्व अर्थात परम तत्व का बोध करवाता है। व्यास पीठ से आचार्य जी ने जब एक पंजाबी भजन गाया तो सारा पंडाल मस्ती से झूम उठा, हर इक ते इतबार नहीं हुंदा, हर कोई सच्चा यार नहीं हुंदा... भागवत के माध्यम से आचार्य श्री ने उल्लेख किया कि भगवान को सर्वस्व मानने वाला भगवान पर आश्रित रहने वाला सदैव गमों से दूर रहता है। जब से बांके बिहारी हमारे हुए हैं, गम सारे जमाने के किनारे हुए हैं... आचार्य जी के मुखारविंद से प्रसारित हुए इस भजन पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने करतल ध्वनि के साथ नृत्य किया। जो हमें प्राप्त है, वही पर्याप्त है का पक्ष लेते हुए आचार्य जी ने कहा कि हमारे भीतर मत्सर नाम का कीड़ा है जो भीतर से काटता है, जिससे हमारे भीतर ईष्र्या व जलन पैदा होती है। मच्छर बाहर से काटता है जबकि मत्सर भीतर से काटता है। शाब्दिक अर्थ दोनों का एक ही है परंतु भागवत सभी ग्रंथों का, वेदों का पका हुआ फल है, जिसे पाने से ही नहीं केवल सम्मुख बैठने से ही मनुष्य मुक्त हो जाता है। मोक्ष का वास्तविक अर्थ मोह का क्षय होना है। जब आप मद्भागवत के सम्मुख हो तो मोह आपमें नहीं रहेगा और आपका मोक्ष इसी जन्म में हो गया। कथा को आगे बढ़ाते हुए आचार्य जी ने 24 अवतारों का वर्णन किया। भगवान ने सभी को प्रसन्न रखने के लिए भिन्न-भिन्न अवतार लिए। तत्पश्चात् कथा के दौरान स्वामी जी ने कहा कि भगवान कृष्ण ने कुंती की अनुनय विनय सुनकर वरदान मांगने को कहा जिस पर कुंती ने अपने लिए विपत्तियां ही मांगी। इसके उपरांत भगवान श्रीकृष्ण भीष्म पितामह के पास गए और उन्हें जाकर दर्शन दिए जो 57 दिन से मृत्यु शैय्या पर लेटे हुए थे। कथा के विश्राम की ओर बढ़ते हुए आचार्य जी ने राजा परीक्षित का आखेट पर वन जाना, समाधिस्थ संत के गले में कलिकाल के प्रभाव से मृत सर्प डालना, संत के पुत्र द्वारा राजा परीक्षित को श्राप देना कि जिसने भी यह कुकर्म किया है उसे 7 दिन में तक्षक सर्प द्वारा काटे जाने पर मृत्यु होगी। परीक्षित और देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शुकदेव जी का प्रकट होना व शुकदेव द्वारा भागवत कथा के माध्यम से राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग बताया। कथा के दौरान मुख्य यजमान के रूप में मा. रोशन लाल गोयल, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष होशियारी लाल शर्मा, प्रवक्ता संगीत कुमार, ओमप्रकाश मेहता, विरेंद्र गुप्ता, बबलू आरेवाला, आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान रूलीचंद गांधी, मुनीष सिंगला सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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