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मार्शल आर्ट आत्मरक्षा का जरिया:दलीप जैन

18 मार्च 2010
हैलो सिरसा: खेल हमारे शारीरिक व मानसिक विकास में अहम् भूमिका अदा करते हैं। यह स्वस्थ जीवन का आधार हैं। जिस प्रकार खेल हमें शारीरिक तंदुरुस्ती के साथ-साथ मानसिक स्फूर्ति देते हैं उसी प्रकार ही मार्शल आर्ट भी हमारे तन व मन को आत्मबल प्रदान करता है। युवाओं को चाहिए कि वे खेलों की तरह ही मार्शल आर्ट की ओर भी रूझान पैदा करें। हरियाणा में भी दिल्ली की तर्ज पर लड़कियों के लिए स्कूलों में मार्शल आर्ट के विशेष प्रशिक्षण की सुविधा सरकार द्वारा प्रदान की जानी चाहिए। यह कहना है मार्शल आर्ट के जिला अध्यक्ष दलीप जैन का। सामुदायिक रेडियो के कार्यक्रम हैलो सिरसा में जैन ने अपराजिता के साथ मार्शल आर्ट के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत कीे। उन्होनें यह भी कहा कि मार्शल आर्ट एक ऐसी कला है जिसके द्वारा मनुष्य अपने अंदर की विशेष शक्तियों का आभास करता है। पेश है इस वार्तालाप के संपादित अंश:-
मार्शल आर्ट क्या है?
मार्शल आर्ट आत्मरक्षा का जरिया है। इसमें कई प्रकार के खेल शामिल हैं, जैसे कराटे, ताईक्वांडो, कुंगफू , बुशू, किक बाक्सिंग, मुआथाई, स्काई मार्शल आर्ट आदि। इनमें से बहुत से खेलों को एशियन और ओलम्पिक गेम्स के लिए मान्यता दी गई है। ये खेलकोरिया, थाईलैंड, बैंकॉक, चीन,जापान, रूस, जर्मन,आदि देशों में भी प्रचलित हंै। परन्तु इनका आगाज़ भारत से ही माना जाता है। प्राचीन समय में युद्ध के दिनों में तकनीकी विकास के अभाव में इन खेलों का अविष्कार हुआ।
मार्शल आर्ट दैनिक जीवन में कैसे सहायक है?
मार्शल आर्ट का मुख्य उद्देश्य आत्म रक्षा करना होता है। यह एक ऐसी कला है जिसमें कि व्यक्ति बिना किसी हथियार के अपनी रक्षा करने में सक्षम होता है। इस कला की सहायता से हम देश सेवा भी कर सकते हैं। लेकिन उसके लिए निपुणता हासिल करना जरूरी है। अगर बात लड़कियों की करें तो आज के युग में उनके लिए यह अति आवश्यक है। क्योंकि आज के युग में हर गली मोड़ पर शरारती तत्व मिल जाते हैं। जिस कारण बहुत से मां-बाप लड़कियों को पढ़ाई के लिए भेजने में संकोच करते हैं। अगर लड़कियों को मार्शल आर्ट का विशेष प्रशिक्षण दिया जाए तो वे आत्म निर्भर होकर समाज के उच्च आयामों को हासिल कर सकती हैं। इससे उनके आत्मबल में भी इज़ाफा होगा।
इस कला में रोजगार की क्या संभावनाएं हैं?
मार्शल आर्ट के क्षेत्र में रोजगार की बेहतर संभावनाएं नहीं होती, लेकिन फिर भी कुछ क्षेत्रों में रोजगार के अवसर हैं। इस कला के प्रशिक्षण के बाद हम सेना व पुलिस में भर्ती होने के लिए योग्य हो जाते हैं। क्योंकि वहां भी ब्लैक बैल्ट प्राप्त व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाती है। मार्शल आर्ट के प्रशिक्षक बनने के लिए भी ब्लैक बैल्ट होना भी जरूरी है। साथ ही इसका प्रशिक्षण ग्रहण करने के बाद दूसरों को आत्मरक्षा के लिए प्रेरित भी कर सकते हैं और उनके मार्गदर्शक की भूमिका अदा कर सकते हैं। -प्रस्तुति:- प्रवीण इंसा

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