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प्रकृति के अनमोल उपहारों में है ग्वारपाठा

17 मार्च 2010
सिरसा(आयुष्मान व अभिनव) भागदौड़ भरी दिनचर्या में इन्सान व्यायाम को नजऱअंदाज कर देता है जिस कारण उसका शरीर विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। बात अगर खानपान की करें तो पहले कि अपेक्षा आज के खानपान में बहुत बदलाव आ गया है। लोग प्राकृतिक खाद्य पदार्थों की अपेक्षा रासायनिक व वसा युक्त भोजन को अपनाने लगे हैं। प्रकृति के अनमोल खाद्य उपहारों में से ही एक है ग्वारपाठा। इसे चमत्कारी पौधा या सर्वरोगहरण के नाम से भी जाना जाता है। इसमें शरीर के लिए आवश्यक सभी पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। कहा जाता है कि सभी बिमारियों की शुरुआत पेट से ही होती है, एवं ग्वारपाठा पेट के रोगों के निवारण के लिए श्रेष्ठतम औषधि मानी जाती है। यह कहना है सच हार्बोटैक के जनरल मैनेजर कृष्ण नैन इन्सां का। नैन सामुदायिक रेडियो के कार्यक्रम हैलो सिरसा में अपराजिता के साथ क्षेत्र की जनता से रूबरू हुए। प्रस्तुत हंै इस वार्तालाप के संपादित अंश:-ग्वारपाठा क्या है? यह एक प्राकृतिक हर्ब है। इसके 350 पी.सी. हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण पी.सी. ब्रबेडैंसी है। यह हर्ब रेतीले इलाके में बहुत अच्छा पनपता है। इसकी पौध वर्षा के दिनों में लगाई जाती है और लगभग डेढ़ साल में इसकी फसल तैयार हो जाती है। पकने के हर तीन महीने के उपरांत इसकी कटाई की जाती है। प्रत्येक कटाई में लगभग 10 टन के करीब ग्वारपाठा की पत्तियां प्राप्त होती हैं। इसके बाद विभिन्न मशीनी क्रियाओं द्वारा अनेक सर्वरोगहरण उत्पाद बनाए जाते हंै। किन बीमारियों में ग्वारपाठा का सेवन लाभदायक है? ग्वारपाठा पेट की सभी विकारों को दूर करने की अचूक औषधि है। यह अलसर, डायबिटीज़, बच्चों की हड्डियां कमजोर होना ,खून न बनना, भूख न लगना, गैस, एसीडिटी आदि बीमारियों के निवारण में बहुत हद तक कारगर सिद्ध हुआ है। किसी भी बिमारी के इलाज के साथ साथ ग्वारपाठा का सेवन करने से दवाईयों का असर भी 15 तक बढ़ जाता है। यह शरीर में अत्याधिक वसा को प्राकृतिक तरीके से नष्ट करता है। इसके सेवन से अधिक दुबले व पतले लोगों को वजन सामान्य करने में भी मदद मिलती है। इसका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है। एलोवेरा से किस तरह के उत्पाद तैयार किए जाते हैं? एलोवेरा से कॉस्मैटिक और खाद्य पदार्थ संबंधी उत्पाद तैयार किए जाते हैं। जैसे कॉस्मैटिक में तेल, स्किन जैल, साबुन, शैंपू, फेस क्रीम और खाद्य पदार्थों में आचार, जूस, साफ्ट ड्रिंक, इत्यादि आते हैं। इसके अलावा एलोवेरा की सब्जी भी बनाई जाती है। प्राचीन समय में शरीर पर कोई फोड़ा-फुन्सी होने पर इसकी पत्तियों को तोड़ कर लगा लिया जाता है। एलोवेरा किसी भी तरीके से शरीर के अंदर जाना चाहिए ताकि इसमें निहित भरपूर पौष्टिक तत्वों का लाभ शरीर को मिल सके। इसके निरंतर सेवन से शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है व र्दीघायु का आनंद ले सकते है।

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